Theme of this blog is love and emotions attached . Songs , Gajals , Shayri written on this blog are completely my personal vies and feelings which i put into words. You can find different kind of emotion related to love and passion arranged into words which will touch your heart.
Thursday, December 12, 2013
Wednesday, December 11, 2013
तेरे जैसी
रोज तुम्हारी याद मुझे सोने ना देती ,
जागती आँखों से मैं सपने बुन ना पाऊँ ।
तुम कहते हो कितना याद मुझे करते हो ,
कैसे मैं बतलाऊँ आंसू गिन ना पाऊँ ।
वक्त जो बदला फूल राह के पत्थर हो गये ,
कांटे रह गये हैं जिनको मैं चुन ना पाऊँ ।
क्या तुम अब आवाज ही मुझको ना देते हो ,
या कि मैं ही बुत बन गई कुछ सुन ना पाऊँ ।
तुम तो जाने क्यूँ बेगाने हो गये मुझसे ,
मैं जाने क्यूँ तेरे जैसी बन ना पाऊँ ।
जागती आँखों से मैं सपने बुन ना पाऊँ ।
तुम कहते हो कितना याद मुझे करते हो ,
कैसे मैं बतलाऊँ आंसू गिन ना पाऊँ ।
वक्त जो बदला फूल राह के पत्थर हो गये ,
कांटे रह गये हैं जिनको मैं चुन ना पाऊँ ।
क्या तुम अब आवाज ही मुझको ना देते हो ,
या कि मैं ही बुत बन गई कुछ सुन ना पाऊँ ।
तुम तो जाने क्यूँ बेगाने हो गये मुझसे ,
मैं जाने क्यूँ तेरे जैसी बन ना पाऊँ ।
Wednesday, December 4, 2013
भूली बिसरी बातों पर अब क्या पछताना
भूली बिसरी बातों पर अब क्या पछताना ,
ले छोड़ दिया तेरी गलियों में आना - जाना।
फिर भी लोग हक़ीक़त दिल कि पढ़ लेते हैं ,
अब भी मुझे बुलाते हैं कह के दीवाना ।
तेरी गली के मोड़ पे अब भी है ये चर्चा ,
भुला दिया है तूने अब हंसना - मुस्काना ।
मेरे कहने से क्या सब कुछ मिट जायेगा ,
नामुमकिन सा है मेरी जां प्यार छुपाना ।
चलो ये वादें देखें कब तक निभ सकते है ,,
मैं भी न आऊँ मिलने तुम भी न आना ।
ले छोड़ दिया तेरी गलियों में आना - जाना।
फिर भी लोग हक़ीक़त दिल कि पढ़ लेते हैं ,
अब भी मुझे बुलाते हैं कह के दीवाना ।
तेरी गली के मोड़ पे अब भी है ये चर्चा ,
भुला दिया है तूने अब हंसना - मुस्काना ।
मेरे कहने से क्या सब कुछ मिट जायेगा ,
नामुमकिन सा है मेरी जां प्यार छुपाना ।
चलो ये वादें देखें कब तक निभ सकते है ,,
मैं भी न आऊँ मिलने तुम भी न आना ।
Monday, December 2, 2013
शायरी
आँखों में बसे खाब ने सोने नही दिया,
रोये तो टूटे आह ने रोने नही दिया ।
चाहा कभी दो पल जो अकेले में बितायें ,
मेरे दर्द ने तन्हा मुझे होने नही दिया ।
रोये तो टूटे आह ने रोने नही दिया ।
चाहा कभी दो पल जो अकेले में बितायें ,
मेरे दर्द ने तन्हा मुझे होने नही दिया ।
शायरी
किस्तों में मिली खुशियाँ और तोहफे में मिले गम ,
हमदर्द ना मिला कोई मिलते रहे हम - दम ,,
इतनी सी कहानी है हमारी ऐ दोस्तों ,,
लोगों कि भीड़ में भी तन्हा ही रहे हम ।
हमदर्द ना मिला कोई मिलते रहे हम - दम ,,
इतनी सी कहानी है हमारी ऐ दोस्तों ,,
लोगों कि भीड़ में भी तन्हा ही रहे हम ।
तुमको याद करें तो कैसे
ना तुम ना वो बातें हैं ,,
काली लम्बी रातें हैं ,,
अब एहसास करें तो कैसे ,
तुमको याद करें तो कैसे ।
ना कसमें ना वादें हैं ,,
जो कुछ है सब यादें हैं ,,
फिर सब साथ करें तो कैसे ,,
तुमको याद करें तो कैसे ।
आ जाओ गर आना है ,,
दिल अब भी दीवाना है ,,
ये फरियाद करें तो कैसे ,,
तुमको याद करें तो कैसे ।
ये मेरी ही गलती है ,,
अब भी सांसे चलती है ,,
दिन बरबाद करें तो कैसे ,,
तुमको याद करें तो कैसे ।
टूटे तार मिलाऊँ कैसे ,,
अब तुमसे मिल पाऊँ कैसे ,,
दिल आबाद करें तो कैसे ,,
तुमको याद करें तो कैसे ।
Tuesday, November 19, 2013
आंसू प्यार भरा
माना कि तुम नाम मेरा न लेते होगे , ,
दिल ही दिल में जिक्र मेरा आता तो होगा ।
जीवन के पन्नों को जभी पलटते होगे ,,
याद वही किस्सा बिसरा आता तो होगा ।
कहीं कोई धुन प्रेम कि जब-जब बजती होगी ,
नशा कोई दिल पे गहरा छाता तो होगा ।
कभी कोई जब करता होगा प्यार कि बातें ,
नजर तुम्हे भी चेहरा मेरा आता तो होगा ।
कभी किताबों में जो कोई खत मिलता होगा ,,
आँख में आंसू प्यार भरा आता तो होगा ।
Monday, November 18, 2013
गीत
रात - रात भर खाबों से मैं लड़ के हारा हूँ ।
तू कहता है गैर हूँ मैं वो कहे तुम्हारा हूँ ।
लगता है यूँ जन्म-जन्म से है तू दिल के पास ,
लहराता सा सागर तू मैं तेरा किनारा हूँ ।
कैसे मैं समझाऊं अपने प्यार कि गहराई ,
तेरे प्यार में घायल हूँ जां तुझपे वारा हूँ ।
लोग मेरी हालत का जाना देंगे तुमको दोष ,
सबको है मालूम मैं तेरे प्यार का मारा हूँ ।
क्यूँ आते हो खाबों में जब कोई नही मेरे ,
कह भी दो अब जानेजां मैं तुमको प्यारा हूँ ।
तू कहता है गैर हूँ मैं वो कहे तुम्हारा हूँ ।
लगता है यूँ जन्म-जन्म से है तू दिल के पास ,
लहराता सा सागर तू मैं तेरा किनारा हूँ ।
कैसे मैं समझाऊं अपने प्यार कि गहराई ,
तेरे प्यार में घायल हूँ जां तुझपे वारा हूँ ।
लोग मेरी हालत का जाना देंगे तुमको दोष ,
सबको है मालूम मैं तेरे प्यार का मारा हूँ ।
क्यूँ आते हो खाबों में जब कोई नही मेरे ,
कह भी दो अब जानेजां मैं तुमको प्यारा हूँ ।
Sunday, November 17, 2013
Saturday, November 16, 2013
Monday, November 11, 2013
मांफीनामा
तुमको अगर सुनाई दे तो मैं भी रो लूँ ।
बहुत बेसबर हुआ है दिल कुछ सबर तो ले लूँ ।
हँसते - हँसते झूठी हंसी जी उब गया है ,,
जी करता है लगके तेरे गले से रो लूँ ।
किये हुए बरताव का पश्चाताप हैं आंसूं ,,
आज तेरे आगे रोके सब पाप मैं धो लूँ ।
बिना मुहब्ब्त के दुनियां में क्या रखा है ,,
तुम भी मेरे हो जाओ मैं तेरा हो लूँ ।
तुमने गर माँफी मुझको दे दी तो बोलो ,,
आज तुम्हारे कांधे पे सर रख कर सो लूँ ।
इक तो तुम रूठे उसपे अलसाया मौसम ,,
इक नाजुक दिल पे बोलो गम कितने झेलूं ।
बहुत बेसबर हुआ है दिल कुछ सबर तो ले लूँ ।
हँसते - हँसते झूठी हंसी जी उब गया है ,,
जी करता है लगके तेरे गले से रो लूँ ।
किये हुए बरताव का पश्चाताप हैं आंसूं ,,
आज तेरे आगे रोके सब पाप मैं धो लूँ ।
बिना मुहब्ब्त के दुनियां में क्या रखा है ,,
तुम भी मेरे हो जाओ मैं तेरा हो लूँ ।
तुमने गर माँफी मुझको दे दी तो बोलो ,,
आज तुम्हारे कांधे पे सर रख कर सो लूँ ।
इक तो तुम रूठे उसपे अलसाया मौसम ,,
इक नाजुक दिल पे बोलो गम कितने झेलूं ।
Sunday, November 10, 2013
मैं तेरा हूँ कि न हूँ
मैं तेरा जो था कभी वो ही तेरा हूँ कि न हूँ ।
मुझे बता के तो जा कि मैं तेरा हूँ कि न हूँ ।
मुझसे यूँ फेर के नजरे क्यूँ चले जाते हो ,,
मुझसे भी बाते करो मैं भी यहाँ हूँ कि न हूँ ।
मुझे लगता है मुझमे जो भी है सब तेरा है ,,
तुम मेरे ना सही पर मैं भी मेरा हूँ कि न हूँ ।
चलो अच्छा हुआ कि तुमने भरम तोड़ दिया,,
सच कहदो मैं तुमसे मारा गया हूँ कि न हूँ ।
मुझे बता के तो जा कि मैं तेरा हूँ कि न हूँ ।
मुझसे यूँ फेर के नजरे क्यूँ चले जाते हो ,,
मुझसे भी बाते करो मैं भी यहाँ हूँ कि न हूँ ।
मुझे लगता है मुझमे जो भी है सब तेरा है ,,
तुम मेरे ना सही पर मैं भी मेरा हूँ कि न हूँ ।
चलो अच्छा हुआ कि तुमने भरम तोड़ दिया,,
सच कहदो मैं तुमसे मारा गया हूँ कि न हूँ ।
शायरी
तेरी तरह इसी शहर का बसिंदा हूँ मैं ,
फर्क ये है कि तू इंसा है परिंदा हूँ मैं ।
तू तो सरहद पे बारूद बिछा रखता है ,,
मैं पार जाता हूँ और देखले जिन्दा हूँ मैं।
फर्क ये है कि तू इंसा है परिंदा हूँ मैं ।
तू तो सरहद पे बारूद बिछा रखता है ,,
मैं पार जाता हूँ और देखले जिन्दा हूँ मैं।
Friday, November 8, 2013
शायरी
मैं बद्दुआ तो किसी को दिया नही करता ।
मगर दिल तेरे लिए कोई दुआ नही करता ।
मतलबी से तो बस मतलब ही सीधे होते हैं ,
ऐसे रिस्तों से कुछ भला हुआ नही करता ।
दिल सीसे से भी नाजुक मिजाज रखता है ,
टूट जाए तो फिर दुबारा जुड़ा नही करता ।
मगर दिल तेरे लिए कोई दुआ नही करता ।
मतलबी से तो बस मतलब ही सीधे होते हैं ,
ऐसे रिस्तों से कुछ भला हुआ नही करता ।
दिल सीसे से भी नाजुक मिजाज रखता है ,
टूट जाए तो फिर दुबारा जुड़ा नही करता ।
Tuesday, November 5, 2013
कभी तो रब कि रहमत होगी
यूँ ही आँख न नम होगा,
कुछ न कुछ तो गम होगा ।
ढूंढा तो उसने भी होगा ,
मिला नही मरहम होगा ।
कोई उपाये कर लोगे पर ,
गम धीरे ही कम होगा ।
आस लगाये बैठा है दिल ,
फिर से वही मौसम होगा ।
कभी तो रब कि रहमत होगी ,
कभी तो उसका करम होगा । ,,
कुछ न कुछ तो गम होगा ।
ढूंढा तो उसने भी होगा ,
मिला नही मरहम होगा ।
कोई उपाये कर लोगे पर ,
गम धीरे ही कम होगा ।
आस लगाये बैठा है दिल ,
फिर से वही मौसम होगा ।
कभी तो रब कि रहमत होगी ,
कभी तो उसका करम होगा । ,,
शायरी
तू जाग - जाग कर मेरा ही नाम जपता है।
और मुझे हिचकियाँ आतीं है बुरा लगता है ।
मुझे लगता है मुहब्ब्त इसी को कहते हैं ,
तू मेरा कोई नही फिर भी मेरा लगता है ।
और मुझे हिचकियाँ आतीं है बुरा लगता है ।
मुझे लगता है मुहब्ब्त इसी को कहते हैं ,
तू मेरा कोई नही फिर भी मेरा लगता है ।
जागता ' दीया '
क्यूँ इंसान ये अक्सर ख़ुशी में भूल जाता है ।
कोई गम में होता है और कोई मुस्कुराता है ।।
न जाने कौन सी खता कि 'दिये' ने यारों ,
जिस देखो वही 'दिये' को ही जलाता है ।
कभी जिस दिन को कोसते थे जी भर के हम ,
अब वही बीत गया खूब याद आता है ।
तुम्हे क्या लगता है बेगैरत हो गये हैं सब ,,
क्यूँ जान लेके भी कोई काम नही आता है ।
तुमसे माँगा था क्या कन्धा तुम्हारा रोने को ,,
किसी के गम पे भला कोई ऐसे मुस्कुराता है ।
मुझे लगता है त्योहारों पे तो खुश हो लूँ मगर ,
गम कि आदत पड़ी खुशियों से जी घबराता है ।
किसी किताब में लिखा था बुरा मत कीजे ,,
मैं बुरा अपना करूं क्या किसी का जाता है ।
मैंने सब कह दिया मेरा तो जी हलका हुआ ,,
तू गम छुपा - छुपा के अपना दिल जलाता है।
मैंने देखा है रातभर को जागता है दीया
और वो जब जागता है कितनों को सुलाता है ।
कोई गम में होता है और कोई मुस्कुराता है ।।
न जाने कौन सी खता कि 'दिये' ने यारों ,
जिस देखो वही 'दिये' को ही जलाता है ।
कभी जिस दिन को कोसते थे जी भर के हम ,
अब वही बीत गया खूब याद आता है ।
तुम्हे क्या लगता है बेगैरत हो गये हैं सब ,,
क्यूँ जान लेके भी कोई काम नही आता है ।
तुमसे माँगा था क्या कन्धा तुम्हारा रोने को ,,
किसी के गम पे भला कोई ऐसे मुस्कुराता है ।
मुझे लगता है त्योहारों पे तो खुश हो लूँ मगर ,
गम कि आदत पड़ी खुशियों से जी घबराता है ।
किसी किताब में लिखा था बुरा मत कीजे ,,
मैं बुरा अपना करूं क्या किसी का जाता है ।
मैंने सब कह दिया मेरा तो जी हलका हुआ ,,
तू गम छुपा - छुपा के अपना दिल जलाता है।
मैंने देखा है रातभर को जागता है दीया
और वो जब जागता है कितनों को सुलाता है ।
Wednesday, October 30, 2013
मैं तेरा हूँ तू मेरा है
मैं तेरा हूँ तू मेरा है , क्या ये सही तो नही ।
मुझे तलाश थी जिसकी क्या तू वही तो नही ।
क्यूँ लगता है तुझसे जन्मों का रिस्ता है मेरा ,
क्या कहीं जन्मों जन्मों से ही तू मेरी तो नही ।
यूँ लगता है अधूरी सी दुआ पूरी हुई ,,
कहीं तू मेरी इबादत या बंदगी तो नही ।
चल कहीं बैठके करते हैं हम बातें दिल कि ,,
ऐसे गुमसुम है कहीं मुझसे तू रूठी तो नही ।
तू कहे तो मैं तुझे पास से आकर देखूं ,,
मुझे भरम है कि तू मोम कि बनी तो नही ।
मुझे अब हो रहा यकीन कि मैं तेरा हुआ ,,
तू बता मेरे जैसी हालत कहीं तेरी तो नही ।
मुझे तलाश थी जिसकी क्या तू वही तो नही ।
क्यूँ लगता है तुझसे जन्मों का रिस्ता है मेरा ,
क्या कहीं जन्मों जन्मों से ही तू मेरी तो नही ।
यूँ लगता है अधूरी सी दुआ पूरी हुई ,,
कहीं तू मेरी इबादत या बंदगी तो नही ।
चल कहीं बैठके करते हैं हम बातें दिल कि ,,
ऐसे गुमसुम है कहीं मुझसे तू रूठी तो नही ।
तू कहे तो मैं तुझे पास से आकर देखूं ,,
मुझे भरम है कि तू मोम कि बनी तो नही ।
मुझे अब हो रहा यकीन कि मैं तेरा हुआ ,,
तू बता मेरे जैसी हालत कहीं तेरी तो नही ।
Saturday, October 26, 2013
Thursday, October 24, 2013
शायरी
यूँ मेरी गलियों से गुजरना और देखना मुझको ,
दिल कहता है की हम अब भी उनके ख़ास में हैं ।
उनकी आँखों में मैंने खाब अपने देखें हैं ,,
शायद जिन्दगी फिर से मेरी तलाश में है ।
Wednesday, October 23, 2013
दिल कोई टूटा न मिले
चल कहीं दूर जहाँ कोई भी झूठा न मिले ।
प्यार से लोग मिले कोई भी रूठा न मिले ।
जहाँ वफाओं के बदले वफा चलन में रहे ,
दिल में छुरी लिए कोई सामने मीठा न मिले ।
जहाँ दौलत की नही दिल की हो कीमत ज्यादा ,
इस जहाँ जैसे दिल बदहाल सरीखा न मिले ।
जहाँ गंगा के साथ आंसूं भी पूजी जाये ,
किसी के दिल से खेलने का तरीका न मिले ।
यूँ मिले आके गले जैसे यार बचपन के ,,
प्यार का मौसम किसी मौसम में भी फीका न मिले ।
नफरतें तरसा करें गलियों में बसने के लिए ,
पर किसी घर में कहीं दिल कोई टूटा न मिले ।
प्यार से लोग मिले कोई भी रूठा न मिले ।
जहाँ वफाओं के बदले वफा चलन में रहे ,
दिल में छुरी लिए कोई सामने मीठा न मिले ।
जहाँ दौलत की नही दिल की हो कीमत ज्यादा ,
इस जहाँ जैसे दिल बदहाल सरीखा न मिले ।
जहाँ गंगा के साथ आंसूं भी पूजी जाये ,
किसी के दिल से खेलने का तरीका न मिले ।
यूँ मिले आके गले जैसे यार बचपन के ,,
प्यार का मौसम किसी मौसम में भी फीका न मिले ।
नफरतें तरसा करें गलियों में बसने के लिए ,
पर किसी घर में कहीं दिल कोई टूटा न मिले ।
Tuesday, October 22, 2013
भारत माँ की दुविधा
झूठे बैठे डिंग हांकते हवा में लेते बाजी मार ।
सच्चाई पे चले जो उनपे तोहमत लगते रोज हजार ।
गोरा धन है काल होकर पड़ा हुआ विदेशों में ,
भारत का रथ चला रहे हैं चोर उचक्के और गद्दार ।
आतंकवादी घुसे जा रहे रातों को अँधेरे में ,
बड़े मौज से ऊँघ रही है कुर्सी के उपर सरकार ।
भारत माँ की नैया हमने दे दी किसके हाथों में ,
मांझी ही बेइमान निकल गया हुआ देश का बन्टाधार ।
हमने भी कोई कसर न छोड़ी वो भी लूटे हम भी लूटे ,
राष्ट्रप्रेम का हलवा बन गया देशभक्ति का बना आचार ।
इतने अंधे हुए स्वार्थ में भारत माँ को भूल गये ,
याद रहा बस इतना हमको लाभ मुनाफा और व्यापार ।
रही भारती आस लगाये जाने कब दिन लौटेंगे ,,
भगत , बोस , गाँधी आयेंगे कब करने सपने साकार ।
सच्चाई पे चले जो उनपे तोहमत लगते रोज हजार ।
गोरा धन है काल होकर पड़ा हुआ विदेशों में ,
भारत का रथ चला रहे हैं चोर उचक्के और गद्दार ।
आतंकवादी घुसे जा रहे रातों को अँधेरे में ,
बड़े मौज से ऊँघ रही है कुर्सी के उपर सरकार ।
भारत माँ की नैया हमने दे दी किसके हाथों में ,
मांझी ही बेइमान निकल गया हुआ देश का बन्टाधार ।
हमने भी कोई कसर न छोड़ी वो भी लूटे हम भी लूटे ,
राष्ट्रप्रेम का हलवा बन गया देशभक्ति का बना आचार ।
इतने अंधे हुए स्वार्थ में भारत माँ को भूल गये ,
याद रहा बस इतना हमको लाभ मुनाफा और व्यापार ।
रही भारती आस लगाये जाने कब दिन लौटेंगे ,,
भगत , बोस , गाँधी आयेंगे कब करने सपने साकार ।
Monday, October 21, 2013
न मुझको यूँ सताओ
न मुझको यूँ सताओ मचल जाऊंगा मैं भी ,
दीये सा मत जलाओ पिघल जाऊंगा मैं भी ।
अभी से कह रहा हूँ मुझे मत आजमाओ ,,
तुम्हारी ही तरह तो बदल जाऊंगा मैं भी ।
मुझे गम हो रहा है तुम्हे भी गम मिलेगा ,,
तेरी महफिल से जब ही निकल जाऊंगा मैं भी ।
अभी सदमें में है दिल बेवफाई से तेरी ,,
यकीं हैं खुद पे मुझको सम्भल जाऊंगा मैं भी ।
अभी तुम हंस लो जीभर मेरे हालत पे पर ,,
तुमसे हंस - हंस के मिलने कल आऊंगा मैं भी ।
दीये सा मत जलाओ पिघल जाऊंगा मैं भी ।
अभी से कह रहा हूँ मुझे मत आजमाओ ,,
तुम्हारी ही तरह तो बदल जाऊंगा मैं भी ।
मुझे गम हो रहा है तुम्हे भी गम मिलेगा ,,
तेरी महफिल से जब ही निकल जाऊंगा मैं भी ।
अभी सदमें में है दिल बेवफाई से तेरी ,,
यकीं हैं खुद पे मुझको सम्भल जाऊंगा मैं भी ।
अभी तुम हंस लो जीभर मेरे हालत पे पर ,,
तुमसे हंस - हंस के मिलने कल आऊंगा मैं भी ।
Saturday, October 19, 2013
Wednesday, October 16, 2013
प्रार्थना
सारा जग ही प्रेम है देखो जिधर अथाह ,
तू प्रेमी मैं प्रेमिका चले प्रेम की राह ।
नैन नीर से सींचती इक - इक दाने बिज,
हिर्दय में उपजा लिए प्रीतम तेरी चाह ।
काम-क्रोध, मद-लोभ में डूब न जाए नाव ,
स्वामी पार उतरिये गहि - गहि मोरी बांह ।
तू प्रेमी मैं प्रेमिका चले प्रेम की राह ।
नैन नीर से सींचती इक - इक दाने बिज,
हिर्दय में उपजा लिए प्रीतम तेरी चाह ।
काम-क्रोध, मद-लोभ में डूब न जाए नाव ,
स्वामी पार उतरिये गहि - गहि मोरी बांह ।
Tuesday, October 15, 2013
Saturday, October 12, 2013
Thursday, October 10, 2013
ये दिल है मेरी जान
ये दिल है मेरी जान किराये का घर नही ,
कि जब चाहो रहो और जब चाहोगे चल दो ।
रातों को जाग - जाग के सजाये हैं सपने ,
मोती हैं ये अरमां के न कदमों से कुचल दो ।
खिलता बड़ी मुश्किल से है काँटों में इक गुलाब ,
आहिस्ते से थामों यूँ न हाथों से मसल दो ।
न आओ गली मेरी तो कोई बात नही है ,
पर रस्ते में मिल जाएँ तो नजरे न बदल लो ।
कितनी सफाई दोगे और बेगुनाही के ,
अच्छा है की चुपचाप मेरे दिल से निकल लो ।
कि जब चाहो रहो और जब चाहोगे चल दो ।
रातों को जाग - जाग के सजाये हैं सपने ,
मोती हैं ये अरमां के न कदमों से कुचल दो ।
खिलता बड़ी मुश्किल से है काँटों में इक गुलाब ,
आहिस्ते से थामों यूँ न हाथों से मसल दो ।
न आओ गली मेरी तो कोई बात नही है ,
पर रस्ते में मिल जाएँ तो नजरे न बदल लो ।
कितनी सफाई दोगे और बेगुनाही के ,
अच्छा है की चुपचाप मेरे दिल से निकल लो ।
Sunday, October 6, 2013
ऐ इश्क चला जा
ऐ इश्क चला जा मुझे तेरा दर न चाहिए ।
तेरे दर्द में डूबा हुआ सफर न चाहिए ।
धरती पे भी सो लेंगे हो गर नींद आँख में ,
नींदें गंवाके फूलों का बिस्तर न चाहिए ।
मेरे होश मेरे खाब मेरा चैन देके जा ,
मुझको दिल बेवजह का बेसबर न चाहिए ।
इक बार तेरा होके मैंने देख लिया है ,
इल्जामें-इश्क फिर से मुझे सर न चाहिए ।
सब कुछ लुटा दिया मगर न तू हुआ हासिल ,
सुन बेवफा मुझे तुझसा हमसफर न चाहिए ।
तेरे दर्द में डूबा हुआ सफर न चाहिए ।
धरती पे भी सो लेंगे हो गर नींद आँख में ,
नींदें गंवाके फूलों का बिस्तर न चाहिए ।
मेरे होश मेरे खाब मेरा चैन देके जा ,
मुझको दिल बेवजह का बेसबर न चाहिए ।
इक बार तेरा होके मैंने देख लिया है ,
इल्जामें-इश्क फिर से मुझे सर न चाहिए ।
सब कुछ लुटा दिया मगर न तू हुआ हासिल ,
सुन बेवफा मुझे तुझसा हमसफर न चाहिए ।
Friday, October 4, 2013
तू कितनी भोली भोली है
बिना तेरे जिन्दगी की हर इक शाम काली है ।
अगर जो तू नही तो क्या है होली क्या दिवाली है ।
मेरे जीवन में जितने रंग हैं सब रंग हैं तुमसे ,
बिना तेरे मैं ऐसी हूँ जैसे पैमाना खाली है ।
अगर तुम पास होते देखते क्या हाल है मेरा ,
तुम नाराज हो जाते की क्यूँ नींदें उडाली है ।
थपेड़ों ने तूफानों के मुझे इतना बदल डाला ,
शिकायत कर न पाओगे तू कितनी भोली भोली है ।
अगर जो तू नही तो क्या है होली क्या दिवाली है ।
मेरे जीवन में जितने रंग हैं सब रंग हैं तुमसे ,
बिना तेरे मैं ऐसी हूँ जैसे पैमाना खाली है ।
अगर तुम पास होते देखते क्या हाल है मेरा ,
तुम नाराज हो जाते की क्यूँ नींदें उडाली है ।
थपेड़ों ने तूफानों के मुझे इतना बदल डाला ,
शिकायत कर न पाओगे तू कितनी भोली भोली है ।
Tuesday, October 1, 2013
बुरा कुछ भी मुहब्बत में नही होता है
कभी - कभी ही दिल इतना उदास होता है ।
और जब भी होता है तब बेहिसाब रोता है ।
बड़ी नाराजगी से देखता है दुनियां को ,,
नाराज दिल न फिर सारी रात सोता है ।
गले से लगके जिसके रोने को जी करता है ,
वही इक शख्स दिल से दूर बहुत होता है ।
अब चल मान जा पागल की क्यूँ दीवाना है ,
बुरा कुछ भी तो मुहब्बत में नही होता है ।
और जब भी होता है तब बेहिसाब रोता है ।
बड़ी नाराजगी से देखता है दुनियां को ,,
नाराज दिल न फिर सारी रात सोता है ।
गले से लगके जिसके रोने को जी करता है ,
वही इक शख्स दिल से दूर बहुत होता है ।
अब चल मान जा पागल की क्यूँ दीवाना है ,
बुरा कुछ भी तो मुहब्बत में नही होता है ।
Monday, September 30, 2013
हुनर सीखते हैं
हवा से लड के सम्भलने का हुनर सीखते हैं ।
दीये ' से पूछिये जो जलने का हुनर सीखते हैं ।
एक ही बार में दौड़ेंगे तो गिर जायेंगे ,
बड़े आहिस्ते हम चलने का हुनर सीखते हैं ।
कैसे चुपचाप भला करके चले जाते हैं ,
ढलते सूरज से यूँ ढलने का हुनर सीखते हैं ।
अभी - अभी वो उतर के गयें हैं दिल से मेरे ,
अब उनके सपनों से निकलने का हुनर सीखते हैं ।
दीये ' से पूछिये जो जलने का हुनर सीखते हैं ।
एक ही बार में दौड़ेंगे तो गिर जायेंगे ,
बड़े आहिस्ते हम चलने का हुनर सीखते हैं ।
कैसे चुपचाप भला करके चले जाते हैं ,
ढलते सूरज से यूँ ढलने का हुनर सीखते हैं ।
अभी - अभी वो उतर के गयें हैं दिल से मेरे ,
अब उनके सपनों से निकलने का हुनर सीखते हैं ।
Saturday, September 28, 2013
मेरे दोस्त
मेरे दोस्तों की यही तो अदा है ,,,
जरूरत जभी हो तभी लापता हैं ।
अगर वक्त पर काम ही आ न पाए ,
तो फिर दोस्तों की जरूरत ही क्या है ।
जरूरत जभी हो तभी लापता हैं ।
अगर वक्त पर काम ही आ न पाए ,
तो फिर दोस्तों की जरूरत ही क्या है ।
Friday, September 27, 2013
दोस्ती सी इबादत
तू नफरतों के लायक है मुहब्बत के नही ,
मगर नफरत मेरे जमीर की आदत में नही ,
सब तुझे छोड़ दे तन्हा तेरी हालत में मगर ,
मुझे तो बेवफा होने की इजाजत ही नही ।
मैंने ये सोंच हर कुसूर तेरा माफ़ किया ,
अभी तू दोस्ती निभाने की हालत में नही ।
कहीं ऐसा न हो तू लौट कर वापस आये ,
तुझे सुनना पड़े की तेरी जरूरत ही नही ।
तूने सुनके भी अनसुनी की मेरी बात मगर ,
तेरी गलती का मुझे तुझसे शिकायत ही नही ।
तेरा नसीब है गम तेरे ,चुभन मुझको मिलें ,
वरना लोगों को तो गम सुनने की फुर्सत भी नही ।
तुझे तो शौख है ,,धोखा फरेब करले तू ,
मेरे लिए तो दोस्ती सी इबादत ही नही ।
मगर नफरत मेरे जमीर की आदत में नही ,
सब तुझे छोड़ दे तन्हा तेरी हालत में मगर ,
मुझे तो बेवफा होने की इजाजत ही नही ।
मैंने ये सोंच हर कुसूर तेरा माफ़ किया ,
अभी तू दोस्ती निभाने की हालत में नही ।
कहीं ऐसा न हो तू लौट कर वापस आये ,
तुझे सुनना पड़े की तेरी जरूरत ही नही ।
तूने सुनके भी अनसुनी की मेरी बात मगर ,
तेरी गलती का मुझे तुझसे शिकायत ही नही ।
तेरा नसीब है गम तेरे ,चुभन मुझको मिलें ,
वरना लोगों को तो गम सुनने की फुर्सत भी नही ।
तुझे तो शौख है ,,धोखा फरेब करले तू ,
मेरे लिए तो दोस्ती सी इबादत ही नही ।
सच भी रोता है
जो कुछ ना सोचा हो वो ही क्यूँ होता है ।
देख के ऐसी हालत कितना दुःख होता है ।
दिल के बदले दिल देने में डरते हैं सब ,
प्यार कोई करता है कोई धोखा देता है ।
हम भी सिख गये हैं दुनियादारी यारों ,
याद नही पर हमने ये गुण कब सिखा है ।
हम भी झूठे तुम भी झूठे ,झूठी दुनियां ,
देखें मक्कारी में आगे क्या होता है ।
बदल - बदल की आड़ में कितना बदल गये हम ,
शरम गई जब आँख की आगे क्या रखा है ।
हम भी मुजरिम तुम भी मुजरिम सच के आगे ,
देख हमारी हालत को सच भी रोता है ।
देख के ऐसी हालत कितना दुःख होता है ।
दिल के बदले दिल देने में डरते हैं सब ,
प्यार कोई करता है कोई धोखा देता है ।
हम भी सिख गये हैं दुनियादारी यारों ,
याद नही पर हमने ये गुण कब सिखा है ।
हम भी झूठे तुम भी झूठे ,झूठी दुनियां ,
देखें मक्कारी में आगे क्या होता है ।
बदल - बदल की आड़ में कितना बदल गये हम ,
शरम गई जब आँख की आगे क्या रखा है ।
हम भी मुजरिम तुम भी मुजरिम सच के आगे ,
देख हमारी हालत को सच भी रोता है ।
Thursday, September 26, 2013
शायरी
अब उजालों में भी खुद को नजर नही आते ,
इस तरह गुम हुए तलाशे भी नही जाते ।
इक सहारा है मेरे दिल को ,तेरे आने का ,
वरना पत्तों की तरह अबतलक बिखर जाते ।
इस तरह गुम हुए तलाशे भी नही जाते ।
इक सहारा है मेरे दिल को ,तेरे आने का ,
वरना पत्तों की तरह अबतलक बिखर जाते ।
शायरी
तेरे बिना मुझे जन्नत नसीब हो भी तो क्या ,
मेरे लिए तो हर शै में उदासी होगी ।
खुदा मिल जाये भी फिर भी मुहब्बत की कसम ,
तेरे दीदार को तब भी नजर प्यासी होगी ।
मेरे लिए तो हर शै में उदासी होगी ।
खुदा मिल जाये भी फिर भी मुहब्बत की कसम ,
तेरे दीदार को तब भी नजर प्यासी होगी ।
Sunday, September 22, 2013
हाल हिन्दुस्तान का ,
मत पूछिये क्या हाल है हिन्दुस्तान का ,
आसूं तो है आँखों में पर रोया नही जाता ।
इतने जख्म हुए हैं दवा काम न आये ,
इतने लहू बहे हैं की धोया नही जाता ।
रो - रो के भारती पुकारती है बार - बार ,
कपूत भी हो पूत पर खोया नही जाता ।
आसूं तो है आँखों में पर रोया नही जाता ।
इतने जख्म हुए हैं दवा काम न आये ,
इतने लहू बहे हैं की धोया नही जाता ।
रो - रो के भारती पुकारती है बार - बार ,
कपूत भी हो पूत पर खोया नही जाता ।
Sunday, September 15, 2013
शायरी
तेरी मुस्कान ने दिल को मेरे गुमराह कर डाला ,
सूरत अच्छी लगी सीरत को भी अच्छी समझ बैठे।
अदाएं तेरी,, इक खेल थी,,,, वादें सभी फरेब ,
बड़े नादाँ थे झूठी उल्फत को ही सच्ची समझ बैठे।
सूरत अच्छी लगी सीरत को भी अच्छी समझ बैठे।
अदाएं तेरी,, इक खेल थी,,,, वादें सभी फरेब ,
बड़े नादाँ थे झूठी उल्फत को ही सच्ची समझ बैठे।
Friday, September 13, 2013
शायरी
जिस दिल में थे वो उसके कई टुकड़े कर आये ।
पर एक - एक टुकड़े में वो ही नजर आये ।
वो एक थे तो मुश्किलें दिल की हजार थी ,
अब हो गये हजारों बोलो दिल किधर जाए ।
पर एक - एक टुकड़े में वो ही नजर आये ।
वो एक थे तो मुश्किलें दिल की हजार थी ,
अब हो गये हजारों बोलो दिल किधर जाए ।
शायरी
सारी रात तेरी याद में यूँही निकल गया ।
फिर याद तेरी आई फिर दिल मचल गया ।।
मत पूछ की अरमानों से कैसा उठा धुँआ,
यादें जली सपने जलें दिल फिर से जल गया ।
Thursday, September 12, 2013
शायरी
जितनी सुलझाते हैं उलझन और भी होती है क्यूँ ।
जब भी तन्हा होती है तो बेबसी रोती है क्यूँ ।
रौशनी और चांदनी में बैर है किस बात का ,
जागती है एक जब भी दूसरी सोती है क्यूँ ।
जब भी तन्हा होती है तो बेबसी रोती है क्यूँ ।
रौशनी और चांदनी में बैर है किस बात का ,
जागती है एक जब भी दूसरी सोती है क्यूँ ।
Thursday, June 27, 2013
मैं अपने पिया को मनाने लगी
रूठ जाने की आदत बुरी तो नही ,
पर रूठे जो वो जान जाने लगी ।
दिल धड़कने लगा साँस चढ़ने लगी ,
याद रह - रह के उनकी सताने लगी ।
मेरी हालत पे आता था उनको मजा ,
उनकी ये बेरुखी दिल जलाने लगी ।
आँखे बरसी यूँ जैसे की बरसात हो ,
बेखुदी धडकनों पे यूँ छाने लगी ।
हारकर अपने दिल से दिल के लिए ,
मैं अपने पिया को मनाने लगी ।
पर रूठे जो वो जान जाने लगी ।
दिल धड़कने लगा साँस चढ़ने लगी ,
याद रह - रह के उनकी सताने लगी ।
मेरी हालत पे आता था उनको मजा ,
उनकी ये बेरुखी दिल जलाने लगी ।
आँखे बरसी यूँ जैसे की बरसात हो ,
बेखुदी धडकनों पे यूँ छाने लगी ।
हारकर अपने दिल से दिल के लिए ,
मैं अपने पिया को मनाने लगी ।
Wednesday, June 26, 2013
शायरी
मुझसे भला ये कैसी दुश्मनी निभा रहा ,,
तेरे सामने वजूद क्या तेरे बीमार का ।
घुट - घुट के तेरी याद में मरने से भला है ,
इक बार में ही मार दे फिर चाहे जहाँ जा ।
तेरे सामने वजूद क्या तेरे बीमार का ।
घुट - घुट के तेरी याद में मरने से भला है ,
इक बार में ही मार दे फिर चाहे जहाँ जा ।
याद उसकी आ रही मुझको
उसे मेरी याद आई है की मौसम ही कुछ ऐसा है ,
यूँ ही तो नही सुबह से हिचकी आ रही मुझको ।
जरा सी बात है की उसको मेरी याद आई है ,
न जाने क्यूँ बहुत ही याद उसकी आ रही मुझको ।
ये अच्छा है की मेरी याद उसको आ गई लेकिन ,
ये अच्छा नही की याद उसकी आ रही मुझको ।
की अब न नींद आएगी की रातें यूँही जाएगी ,
इरादा यादों का क्या है समझ में आ रही मुझको ।
वफाओं का सिला है ये मुहब्बत में मिला है ये ,
की बस ये हाल है की याद उसकी आ रही मुझको ।
यूँ ही तो नही सुबह से हिचकी आ रही मुझको ।
जरा सी बात है की उसको मेरी याद आई है ,
न जाने क्यूँ बहुत ही याद उसकी आ रही मुझको ।
ये अच्छा है की मेरी याद उसको आ गई लेकिन ,
ये अच्छा नही की याद उसकी आ रही मुझको ।
की अब न नींद आएगी की रातें यूँही जाएगी ,
इरादा यादों का क्या है समझ में आ रही मुझको ।
वफाओं का सिला है ये मुहब्बत में मिला है ये ,
की बस ये हाल है की याद उसकी आ रही मुझको ।
सनम बेवफा
मुझे मालुम था की इश्क में ऐसा भी होता है ।
हँसता है जो जितना ज्यादा वो उतना ही रोता है ।
वफायें नाम की ही रह गई दुनियां में कहने को ,
ज्यादातर सनम तेरे जैसा बेवफा ही होता है ।
Tuesday, June 25, 2013
मना लिया करो
आये और चला जाए मुहब्बत नही है वो ।
जो दिल में ठहर जाए मुहब्बत उसे कहो ।
मैं ही कहूँ हर बार मुहब्बत मुझे तुमसे ,
तुम भी तो कभी हाले दिल बयाँ किया करो ।
कोई कम निभाया और कोई ज्यादा निभा गया ,
दोस्तों में ऐसी छोटी बातें ना किया करो ।
ये बिच की दुरी जो मिटानी है हमनवा ,,
कुछ हम चला करें तो कुछ तुम चला करो ।
अच्छा है मुहब्बत हुई नफरत नही हुई ,
दिल नही जला खुदा का शुक्रिया करो ।
मैं गुस्सा करूं नाराज हूँ या बात ना करूँ ,,
ये प्यार है मेरा न तुम दिल पे लिया करो ।
तुमने दुखाया दिल मेरा तुमको चलो हक था ,
पर ज्यादा न सताया करो मना लिया करो ।
जो दिल में ठहर जाए मुहब्बत उसे कहो ।
मैं ही कहूँ हर बार मुहब्बत मुझे तुमसे ,
तुम भी तो कभी हाले दिल बयाँ किया करो ।
कोई कम निभाया और कोई ज्यादा निभा गया ,
दोस्तों में ऐसी छोटी बातें ना किया करो ।
ये बिच की दुरी जो मिटानी है हमनवा ,,
कुछ हम चला करें तो कुछ तुम चला करो ।
अच्छा है मुहब्बत हुई नफरत नही हुई ,
दिल नही जला खुदा का शुक्रिया करो ।
मैं गुस्सा करूं नाराज हूँ या बात ना करूँ ,,
ये प्यार है मेरा न तुम दिल पे लिया करो ।
तुमने दुखाया दिल मेरा तुमको चलो हक था ,
पर ज्यादा न सताया करो मना लिया करो ।
ऐ दोस्त
मुझको ये तेरी बेरुखी कहीं मार न डाले ।
ऐ दोस्त मेरी दोस्ती का ये सिला न दे ।
कितनी दुआओं बाद मिली ऐसी दोस्ती ,
तुझको कसम न तोड़ के मिटटी में मिला दे ।
ऐ दोस्त मेरी दोस्ती का ये सिला न दे ।
कितनी दुआओं बाद मिली ऐसी दोस्ती ,
तुझको कसम न तोड़ के मिटटी में मिला दे ।
Monday, June 24, 2013
शायरी
रहने दो तमाशा ये दोस्ती के नाम का ।
न हम तेरे न तुम मेरे रिश्ता है नाम का ।
सुबह हुई दुआ सलाम की हो गये यार ,
और शाम ढलते ढलते सब किस्सा तमाम था ।
न हम तेरे न तुम मेरे रिश्ता है नाम का ।
सुबह हुई दुआ सलाम की हो गये यार ,
और शाम ढलते ढलते सब किस्सा तमाम था ।
ऐ दिल सम्भल के चल
ऐ दिल सम्भल के चल यहाँ कांटे भी बहुत है ,,,
चाहत में कली की कहीं जख्मी न हो जिगर ।
नाजुक सा अभी तू तुझे मालुम नही है ,,
फिरते हैं लुटेरे बहुत आशिक के नाम पर ।
रहते हैं दिल में जबतलक उनको पसंद हो ,,
जब जाते हैं रख देते हैं टुकड़ों में तोडकर ।
कोई गिला शिकवा करो आयें न लौट कर ,
ऐ दिल न किया कर तू ऐतवार टूटकर ।
चाहत में कली की कहीं जख्मी न हो जिगर ।
नाजुक सा अभी तू तुझे मालुम नही है ,,
फिरते हैं लुटेरे बहुत आशिक के नाम पर ।
रहते हैं दिल में जबतलक उनको पसंद हो ,,
जब जाते हैं रख देते हैं टुकड़ों में तोडकर ।
कोई गिला शिकवा करो आयें न लौट कर ,
ऐ दिल न किया कर तू ऐतवार टूटकर ।
Sunday, June 23, 2013
मेरी दोस्ती
सबसे करीब दिल के रहती है दोस्ती ।
बोले बिना बहुत कुछ कहती है दोस्ती ।
महसूस दिल करता है बयाँ कर नही पाता ,
जुबां कह नही पाती कैसी लगती है दोस्ती ।
होक जुदा हम दोस्तों से रह नही सकते ,
बनके लहू रग रग में यूँ बहती है दोस्ती ।
बोले बिना बहुत कुछ कहती है दोस्ती ।
महसूस दिल करता है बयाँ कर नही पाता ,
जुबां कह नही पाती कैसी लगती है दोस्ती ।
होक जुदा हम दोस्तों से रह नही सकते ,
बनके लहू रग रग में यूँ बहती है दोस्ती ।
Saturday, June 22, 2013
हम हार गये दिल
जाने मेरी वफ़ा का कब तुमपे असर हो ।
आवाज देके थक गये ना जाने किधर हो ।
ऐसा न हो तेरे प्यार में हो जाए फना हम ,
बेवजह इल्जामें - कत्ल आपके सर हो ।
नफरत को भी गर चाहें मुहब्बत में बदल दें ,
दुश्मन को माफ़ करने का मिजाज़ अगर हो ।
मलाल जिन्दगी से रखते हैं दीवाने ,
जो इश्क के मारे उन्हें क्यूँ मौत का डर हो ।
ऐसी अदा देखि न थी पहले कहीं तौबा ,
न तीर न खंजर चले पर चाक जिगर हो ।
तुम जित गये दिल मेरा हम हार गये दिल ,
जो भी था मेरा आज से सब तुझको नजर हो ।
Friday, June 21, 2013
गमे - इश्क
कोई इश्क का क्या गुमां करे ।
दिन रात दिल जो जला करे ।
जल - जलके राख भी ना हुए ,
बस आग उठे धुआँ करे ।
हर ओर पहरा है इश्क का ,
कोई किस तरह से बचा करे ।
दुश्मन को भी न ये रोग हो ,
दिन रात दिल ये दुआ करे ।
न जाने कब वो सुने मेरी ,
गमे - इश्क दिल से जुदा करे ।
Thursday, June 20, 2013
शायरी
इक तू है तेरी बात है चर्चा है बस तेरा ,
कुछ लोग कह रहे थे मुझपे तेरा असर है ।
कुछ भी कहे दुनियां मुझे दुनियां का गम नही ,
कहीं इश्क तो नही है ये इसी बात का डर है ।
कुछ लोग कह रहे थे मुझपे तेरा असर है ।
कुछ भी कहे दुनियां मुझे दुनियां का गम नही ,
कहीं इश्क तो नही है ये इसी बात का डर है ।
भ्रष्टाचारियों का ऐलान
झूठों को तख्तो - ताज की नेमत नसीब है ।
सच बात की सजा मिले कुछ ऐसा वक्त है ।
जो जितना बड़ा चमचा उसे उतना बड़ा ओहदा ,
अनशन में हैं बैठे यहाँ जो देश - भक्त हैं ।
कोई नही बोलेगा भ्रष्टाचार के खिलाफ ,
भ्रष्टाचारियों का ये ऐलान सख्त है ।
वो कह रहें हैं जल्दी ही बदलाव आएगा ,
ठहरो जरा "अभी देश लुटने में व्यस्त हैं ।
Monday, June 17, 2013
यादों को रोका नही जाता
ये हाल जिंदगी का अब देखा नही जाता ,,
सोंचू भी कुछ तेरे सिवा सोंचा नही जाता ।
आफत है तेरी याद चली आती कभी भी ,
दिन हो या रात यादों को रोका नही जाता ।
सोंचू भी कुछ तेरे सिवा सोंचा नही जाता ।
आफत है तेरी याद चली आती कभी भी ,
दिन हो या रात यादों को रोका नही जाता ।
Sunday, June 16, 2013
शायरी
दीदार को उनके निगाह बे -करार थी ,
हद न रही दिल को उनके इन्तजार की ।
जाने कितनी बार टूटी नींद खुली आँख ,
इश्क जैसे रात - भर सर पे सवार थी ।
हद न रही दिल को उनके इन्तजार की ।
जाने कितनी बार टूटी नींद खुली आँख ,
इश्क जैसे रात - भर सर पे सवार थी ।
अच्छा नही लगता
मैं और कोई बात करूं अच्छा नही लगता ।
प्यार कहूँ प्यार सुनूँ अच्छा लगता है ,
पर दर्द कहूँ दर्द सुनूँ अच्छा नही लगता ।
किसके पास गम नही है इस जहान में ,
बस मैं ही इक हल्ला करूं अच्छा नही लगता ।
तुमने ही दिया दर्द है तुम्ही न सुनोगे ,
किसी और से शिकवा करूँ अच्छा नही लगता ।
दिन भर तुम्हारी याद में बेचैन रहूँ मैं ,
और रातभर रोया करूँ अच्छा नही लगता ।
क्या रखा है दुनियां में कहो प्यार के सिवा ,
बिना प्यार के जिन्दा रहूँ अच्छा नही लगता ।
प्यार कहूँ प्यार सुनूँ अच्छा लगता है ,
पर दर्द कहूँ दर्द सुनूँ अच्छा नही लगता ।
किसके पास गम नही है इस जहान में ,
बस मैं ही इक हल्ला करूं अच्छा नही लगता ।
तुमने ही दिया दर्द है तुम्ही न सुनोगे ,
किसी और से शिकवा करूँ अच्छा नही लगता ।
दिन भर तुम्हारी याद में बेचैन रहूँ मैं ,
और रातभर रोया करूँ अच्छा नही लगता ।
क्या रखा है दुनियां में कहो प्यार के सिवा ,
बिना प्यार के जिन्दा रहूँ अच्छा नही लगता ।
Saturday, June 15, 2013
इश्क बे - वजह क्यूँ दी
दिल तो इश्क का राही था मुलाजिम तो न था ,
कोई बताये तो मुझे इश्क ने सजा क्यूँ दी ।
जब भी सजदा किया खुदा का सनम याद आया ,
दवा करने गये थे और गम बढ़ा क्यूँ दी ।
दिल को कहते हैं सब दिल तो खुदा का घर है ,
मेरे खुदा ने घर में रह के घर जला क्यूँ दी ।
बहुत ही दर्द है दिल में मेरे सुनता क्यूँ नही ,
मैंने माँगा तो न था इश्क बे - वजह क्यूँ दी ।
कोई बताये तो मुझे इश्क ने सजा क्यूँ दी ।
जब भी सजदा किया खुदा का सनम याद आया ,
दवा करने गये थे और गम बढ़ा क्यूँ दी ।
दिल को कहते हैं सब दिल तो खुदा का घर है ,
मेरे खुदा ने घर में रह के घर जला क्यूँ दी ।
बहुत ही दर्द है दिल में मेरे सुनता क्यूँ नही ,
मैंने माँगा तो न था इश्क बे - वजह क्यूँ दी ।
तुम बदला नही करना
कुछ कह सकूँ ऐसे मेरे हालत नही हैं ,
चुपचाप गुजर जाऊं तो शिकवा नही करना ।
ताना तुम्हे देगा जहाँ मुझे बेवफा कहके ,
दुनियां की बातें बे-वजह सुना नही करना ।
कितने अजीज हो मुझे तुमको भी पता है ,
मेरे प्यार पे शक करके तुम रोया नही करना ।
दुनियां तो मजा लेती है ऑरों के दर्द का ,
हर एक से ये राजे - दिल कहा नही करना ।
अच्छा - बुरा जो भी हो समय आता है सबका,
बस जुदाई की बातों को ही सोंचा नही करना ।
मुझपे यकीन रखना हम मिलेंगे एक दिन ,
पर रोज - रोज राह भी देखा नही करना ।
रखना सम्भाल कर सदा मेरे प्यार को दिल में ,
बदलेगा वक्त फिर भी तुम बदला नही करना ।
चुपचाप गुजर जाऊं तो शिकवा नही करना ।
ताना तुम्हे देगा जहाँ मुझे बेवफा कहके ,
दुनियां की बातें बे-वजह सुना नही करना ।
कितने अजीज हो मुझे तुमको भी पता है ,
मेरे प्यार पे शक करके तुम रोया नही करना ।
दुनियां तो मजा लेती है ऑरों के दर्द का ,
हर एक से ये राजे - दिल कहा नही करना ।
अच्छा - बुरा जो भी हो समय आता है सबका,
बस जुदाई की बातों को ही सोंचा नही करना ।
मुझपे यकीन रखना हम मिलेंगे एक दिन ,
पर रोज - रोज राह भी देखा नही करना ।
रखना सम्भाल कर सदा मेरे प्यार को दिल में ,
बदलेगा वक्त फिर भी तुम बदला नही करना ।
Friday, June 14, 2013
हौसला चट्टान सा
हालात के मारे हुए रोते भी हैं हँसते भी हैं ।
तोड़े तो नही जा सके टूटे हुए लगते भी हैं ।
तूफ़ान सा उठता है गम तबाह करने को जहाँ ,
डरते भी हैं पर हौसला चट्टान सा रखते भी हैं ।
तोड़े तो नही जा सके टूटे हुए लगते भी हैं ।
तूफ़ान सा उठता है गम तबाह करने को जहाँ ,
डरते भी हैं पर हौसला चट्टान सा रखते भी हैं ।
पागल जैसा
दीवानगी ने हाल ये कैसा बना दिया ।
पत्थर थी तूने छूकर सीसा बना दिया ।
जब देखती हूँ आइना दीखते हो मुझे तुम ,
तेरे प्यार ने तो पागल जैसा बना दिया ।
मैं कौन हूँ मेरा नाम क्या
मैंने कहा उससे की अब परदा उठा के जा ।
दिल में जो तेरे है वो सबकुछ बता के जा ।
जबसे तू गया है मैं कहीं खो सी गई हूँ ,
मैं कौन हूँ मेरा नाम क्या ये तो बता के जा ।
दिल में जो तेरे है वो सबकुछ बता के जा ।
जबसे तू गया है मैं कहीं खो सी गई हूँ ,
मैं कौन हूँ मेरा नाम क्या ये तो बता के जा ।
Thursday, June 13, 2013
खिलौना मेरा टूट गया
बहुत दूर साथ चला था वो मेरा साथी मगर ,
कहीं इक मोड़ पे वो साथी मेरा छुट गया ।
बहुत प्यारा था मिटटी का खिलौना मुझको ,
मेरे ही हाथ से न जाने कैसे टूट गया ।
न मुझे चाँद की ख्वाहिश थी न सितारों की ,
प्यारा वो खाब था जो आँख खुली टूट गया ।
वो इतनी दूर है आवाज मेरी सुनता नही ,
जाने क्या बात हुई ऐसी की वो रूठ गया ।
आँखों - आँखों में मुहब्बत जो हुआ करती थी,
उन्ही आँखों में मेरा सारा जहाँ छुट गया ।
कहीं इक मोड़ पे वो साथी मेरा छुट गया ।
बहुत प्यारा था मिटटी का खिलौना मुझको ,
मेरे ही हाथ से न जाने कैसे टूट गया ।
न मुझे चाँद की ख्वाहिश थी न सितारों की ,
प्यारा वो खाब था जो आँख खुली टूट गया ।
वो इतनी दूर है आवाज मेरी सुनता नही ,
जाने क्या बात हुई ऐसी की वो रूठ गया ।
आँखों - आँखों में मुहब्बत जो हुआ करती थी,
उन्ही आँखों में मेरा सारा जहाँ छुट गया ।
शायरी
दुआ है मेरी उनकी हर दुआ कबूल हो ।
शामिल रहूँ मैं बनके दुआ उनकी दुआ में ।
मुझको मेरे दोस्त अगर भूल भी जायें ,
याद मैं आऊं उन्हें हर एक दुआ में ।
शामिल रहूँ मैं बनके दुआ उनकी दुआ में ।
मुझको मेरे दोस्त अगर भूल भी जायें ,
याद मैं आऊं उन्हें हर एक दुआ में ।
Wednesday, June 12, 2013
आशिक तो रहेंगे
तेरे दर्द ने मुझको ये क्या से क्या बना दिया ।
आशिक थे आशिक से शायर बना दिया ।
तू लौट आ तेरी कसम शायरी न करेंगे ।
शायर न रहें तो भी क्या आशिक तो रहेंगे ।
आशिक थे आशिक से शायर बना दिया ।
तू लौट आ तेरी कसम शायरी न करेंगे ।
शायर न रहें तो भी क्या आशिक तो रहेंगे ।
Tuesday, June 11, 2013
मेरे दोस्त मुझसे दूर हैं
देके दवाई थक गये अब तो वैध भी लाचार हैं ।
दंग हैं क्या दवा करें अब कौन सा उपचार है ।
उनको कोई समझाये तो ये जो मर्ज है लाइलाज है ,
मेरे दोस्त मुझसे दूर हैं दिल इसलिए बीमार हैं ।
शायरी
मुहब्बत का कम से कम ऐसा चलन हो ।
न बेचैनी उलझन न गम न जलन हो ।
जमीं पर जुदाई - जुदाई हो जिनके ,
गगन में तो उनका सनम से मिलन हो ।
न बेचैनी उलझन न गम न जलन हो ।
जमीं पर जुदाई - जुदाई हो जिनके ,
गगन में तो उनका सनम से मिलन हो ।
शायरी
वो तहजीब क्या जो टूटकर बिखर जाये ,
वो तस्वीर क्या जो दिल में न उतर जाए ।
इश्क है आग जलाती है जो उमर भर को ,
ये वो जहर नही जो चढ़ के फिर उतर जाए ।
वो तस्वीर क्या जो दिल में न उतर जाए ।
इश्क है आग जलाती है जो उमर भर को ,
ये वो जहर नही जो चढ़ के फिर उतर जाए ।
Monday, June 10, 2013
दगाबाज
आखिर बना गया मुझे अपनी ही तरह वो ,,,,,
मैं जो कल उसको कहती थी मुझे सब आज कहते हैं ,,
उसकी ही तरह मुझको भी दगाबाज कहते हैं ।
मैं जो कल उसको कहती थी मुझे सब आज कहते हैं ,,
उसकी ही तरह मुझको भी दगाबाज कहते हैं ।
Saturday, June 8, 2013
ऑरों से ज्यादा खुश हम है
सब के अपने -अपने गम है ।
गम के मारे तुम हो हम है ।
जीवन का मतलब ही ये है ,
सहलो जितना उतना कम है ।
नींद नही है चैन नही है ,
दर्द है इतना आँखें नम है ।
तेज है धड़कन दम घुटता है ,
हर इक साँस में जी बेदम है ।
ह़ार न फिर भी मानी हमने ,
जीने का जज्बा ना कम है ।
जैसे हैं जिस हाल में भी है ,
ऑरों से ज्यादा खुश हम है ।
ऑरों से ज्यादा खुश हम है ।
Friday, June 7, 2013
शायरी
कहने को लब खोले तो थे ये सोंचकर के चुप रहे ,,,,
वो प्यार भी क्या प्यार जिसको कहके समझाना पड़े ।
वो प्यार भी क्या प्यार जिसको कहके समझाना पड़े ।
Tuesday, June 4, 2013
इश्क के दर पे चढ़ादी सीधी - सादी जिन्दगी
जान छोड़ी जा सके न इश्क छोड़ा जा सके ,
या खुदाया किसकदर मुश्किल बनादी जिन्दगी ।
एक दिन ऐसा भी था बस प्यार था और खुशियाँ थी ,
जाने हमने किस गली में वो गंवादी जिंदगी ।
लोग सारे हंस रहे हैं छीन कर मासूमियत ,
बेसबब ही दाव पर हमने लगादी जिंदगी ।
क्या हंसी वो दिन थे अपने कितनी मीठी रात थी ,
इश्क के दर पे चढ़ादी सीधी - सादी जिन्दगी ।
या खुदाया किसकदर मुश्किल बनादी जिन्दगी ।
एक दिन ऐसा भी था बस प्यार था और खुशियाँ थी ,
जाने हमने किस गली में वो गंवादी जिंदगी ।
लोग सारे हंस रहे हैं छीन कर मासूमियत ,
बेसबब ही दाव पर हमने लगादी जिंदगी ।
क्या हंसी वो दिन थे अपने कितनी मीठी रात थी ,
इश्क के दर पे चढ़ादी सीधी - सादी जिन्दगी ।
शायरी
पंडित फकीर मौलवी को बुलाओ ।
करो झाड फूक या बूटी खिलाओ ।
जतन करके कोई बला ये हटाओ ,
मुझे लग गया रोग दिल का बचाओ ।
करो झाड फूक या बूटी खिलाओ ।
जतन करके कोई बला ये हटाओ ,
मुझे लग गया रोग दिल का बचाओ ।
Sunday, June 2, 2013
मेरे हाथ में कुछ भी नही गम के सिवा मैं क्या करूं
ये बात भी क्या बात है ये भी तमाशा खूब है ।
वो जो और की बाँहों में है वो ही मेरा महबूब है ।
न चैन है न करार है बस गम है और जूनून है ।
ढूंढा बहुत मिलता नही जाने कहाँ सुकून है ।
मुझे छोड़ दो मेरे हाल पर मुझे दर्द होता है तो हो ,
गम है तो है इस बात का मुंह मोडकर वो गया तो क्यों ।
सबके लिए जो खेल है वो रोग कैसे हो गया ,
मुझे जान से प्यारा था जो वो ही खिलौना खो गया ।
क्या बताऊं हाल मैं अब किस तरह हालात हैं ,
सुलगे हुए अरमान हैं बिखरे हुए जज्बात हैं ।
अब क्या करूं शिकवा गिला जो होना था वो हो गया ,
लौटा भी दे मौला मेरे मेरा नींद चैन कहीं खो गया ।
उसको भी गम मुझको भी गम हालात का सब दोष है ,
वो भी उधर दीवाना सा हम भी इधर मदहोश हैं ।
उसको सुकून अदा करो मौला मैं तुझसे दुआ करूँ ,
मेरे हाथ में कुछ भी नही गम के सिवा मैं क्या करूं ।
वो जो और की बाँहों में है वो ही मेरा महबूब है ।
न चैन है न करार है बस गम है और जूनून है ।
ढूंढा बहुत मिलता नही जाने कहाँ सुकून है ।
मुझे छोड़ दो मेरे हाल पर मुझे दर्द होता है तो हो ,
गम है तो है इस बात का मुंह मोडकर वो गया तो क्यों ।
सबके लिए जो खेल है वो रोग कैसे हो गया ,
मुझे जान से प्यारा था जो वो ही खिलौना खो गया ।
क्या बताऊं हाल मैं अब किस तरह हालात हैं ,
सुलगे हुए अरमान हैं बिखरे हुए जज्बात हैं ।
अब क्या करूं शिकवा गिला जो होना था वो हो गया ,
लौटा भी दे मौला मेरे मेरा नींद चैन कहीं खो गया ।
उसको भी गम मुझको भी गम हालात का सब दोष है ,
वो भी उधर दीवाना सा हम भी इधर मदहोश हैं ।
उसको सुकून अदा करो मौला मैं तुझसे दुआ करूँ ,
मेरे हाथ में कुछ भी नही गम के सिवा मैं क्या करूं ।
शायरी
मेरे यार ने मेरे प्यार का मत पूछिये क्या सिला दिया ,,
हम खत न जिनके जला सके वही दिल हमारा जला गया ।
हम खत न जिनके जला सके वही दिल हमारा जला गया ।
शायरी
मेरी रात लम्बी हो गई दिल जल रहा बे - इन्तहां ,
ऐ दिल कहाँ से लाऊं मैं बतला तेरे गम की दवा ।
सबके लिए जो सुकून है मेरे लिए वो बद्दुआ ,
हम होश में तो रहे नही तुम ही कहो हमे क्या हुआ ।
ऐ दिल कहाँ से लाऊं मैं बतला तेरे गम की दवा ।
सबके लिए जो सुकून है मेरे लिए वो बद्दुआ ,
हम होश में तो रहे नही तुम ही कहो हमे क्या हुआ ।
Saturday, June 1, 2013
शायरी
मेरा गम उसको होता है उसका गम मुझको होता है ।
खून के रिश्ते झूठ लगे जब ऐसा दोस्त मिला करता है ।
कंधे पे जिसके सर रखके हम अपना गम रो सकते हैं ,
किस्मत वालों को ही कोई ऐसा दोस्त मिला करता है ।
खून के रिश्ते झूठ लगे जब ऐसा दोस्त मिला करता है ।
कंधे पे जिसके सर रखके हम अपना गम रो सकते हैं ,
किस्मत वालों को ही कोई ऐसा दोस्त मिला करता है ।
शायरी
किस -किस को मेरे दोस्तों मेरा गम हुआ कहो ।
कुछ भी न कर सके तो रब से दुआ करो ।
इतना भी न कर पाओ तो मेरे दोस्तों सुनो ,
बेवजह मुझे दोस्त - दोस्त ना कहा करो ।
कुछ भी न कर सके तो रब से दुआ करो ।
इतना भी न कर पाओ तो मेरे दोस्तों सुनो ,
बेवजह मुझे दोस्त - दोस्त ना कहा करो ।
Friday, May 31, 2013
मुझे मुहब्बत है
जिसको देखो यहाँ वो ही सलाह देता है ,
यही अच्छा है की यारों हम अक्लमंद नही ।
थोड़े मजबूर हैं हालात के हांथों से अभी ,
जिन्दगी जंग है इससे बड़ी कोई जंग नही ।
अभी तो बंद है मुट्ठी किसे मालूम क्या है ,
अभी तो हमने दिखाए कई और रंग नही ।
इक अकेले भी जिधर चल दूँ जीत लूँ दुनियां ,
क्या फर्क पड़ता है जो तू भी मेरे संग नही ।
गम इतना है तू वादों से मुकर जाता है ,
ये बेवफाई है ये इश्क का कोई ढंग नही ।
मैं जिउंगी भला कैसे मुझे मुहब्बत है ,
दिल को ये दर्द है पर दर्द से दिल तंग नही ।
तू मुकर जायेगा कब तक निभाएगा यारी ,
मैं जानती थी इस हालात से मैं दंग नही ।
यही अच्छा है की यारों हम अक्लमंद नही ।
थोड़े मजबूर हैं हालात के हांथों से अभी ,
जिन्दगी जंग है इससे बड़ी कोई जंग नही ।
अभी तो बंद है मुट्ठी किसे मालूम क्या है ,
अभी तो हमने दिखाए कई और रंग नही ।
इक अकेले भी जिधर चल दूँ जीत लूँ दुनियां ,
क्या फर्क पड़ता है जो तू भी मेरे संग नही ।
गम इतना है तू वादों से मुकर जाता है ,
ये बेवफाई है ये इश्क का कोई ढंग नही ।
मैं जिउंगी भला कैसे मुझे मुहब्बत है ,
दिल को ये दर्द है पर दर्द से दिल तंग नही ।
तू मुकर जायेगा कब तक निभाएगा यारी ,
मैं जानती थी इस हालात से मैं दंग नही ।
शायरी
आतिशबाजियां तो हुई नही न ही राख हैं न ही आग है ,,
धूं - धूं के फिर क्या जल रहा मेरा दिल है या की चिराग है ।
धूं - धूं के फिर क्या जल रहा मेरा दिल है या की चिराग है ।
मैं क्या करूं
मैं क्या करूं ये दिल मेरा सम्भले नही कुछ तो कहो ।
अच्छा नही लगता मुझे इस दर्द का कुछ तो करो ।
चलो रो नही सकते हो मेरे साथ तो कोई गम नहीं ,
पर ये भी कोई बात है मैं रोऊँ तुम देखा करो ।
अच्छा नही लगता मुझे इस दर्द का कुछ तो करो ।
चलो रो नही सकते हो मेरे साथ तो कोई गम नहीं ,
पर ये भी कोई बात है मैं रोऊँ तुम देखा करो ।
Tuesday, May 28, 2013
मतलब की बात
अच्छा है जो मतलब है तो मतलब की बात हो ।
मैं ही न एक मतलबी हूँ सब की बात हो ।
किस - किस ने निभाए हैं कहो जात के उसूल ,
बस ठोकते हैं सीना जब मजहब की बात हो ।
पूछे कोई पंडित से मौलबी से जाके ये ,
देशभक्ति हो या पहले रब की बात हो ।
चर्चों में रहे मखमली गुलाबी होठ ही ,
कभी तो फटे भूखे - सूखे लब की बात हो ।
इंसान को इंसान पे यकीन न रहा ,
फिर कौन सी तहजीब किस अदब की बात हो ।
लिबास दिखावे का सब उतार दे तन से ,
कयामत से भी ज्यादा ये गजब की बात हो ।
मैं ही न एक मतलबी हूँ सब की बात हो ।
किस - किस ने निभाए हैं कहो जात के उसूल ,
बस ठोकते हैं सीना जब मजहब की बात हो ।
पूछे कोई पंडित से मौलबी से जाके ये ,
देशभक्ति हो या पहले रब की बात हो ।
चर्चों में रहे मखमली गुलाबी होठ ही ,
कभी तो फटे भूखे - सूखे लब की बात हो ।
इंसान को इंसान पे यकीन न रहा ,
फिर कौन सी तहजीब किस अदब की बात हो ।
लिबास दिखावे का सब उतार दे तन से ,
कयामत से भी ज्यादा ये गजब की बात हो ।
Sunday, May 26, 2013
जनता है फिर उलझन में
पूछा गया जब उनसे सच हालात के ऊपर ,
परदा वो डालते मिले हर बात के ऊपर ।
मसला हो जब आवाम का निकले कहाँ से हल ,
हंगामा बड़ा बरपा आधी रात के ऊपर ।
वो क्यूँ नही खुशहाली चाहते हैं देश की ,,
उतरते नही खड़े क्यूँ अपनी बात के ऊपर ।
दिखाती नही गरीबी बेबसी गरीब की ,
एनक लगा हुआ है सबकी आँख के ऊपर ।
चुनाव आने को है फिर निकले रंगे सियार ,
गाते हैं गीत अपने करामात के ऊपर ,
जनता है फिर उलझन में मुहर किस पे लगाये ,
बुडे हालात के उपर या उनके हाथ के ऊपर ।
परदा वो डालते मिले हर बात के ऊपर ।
मसला हो जब आवाम का निकले कहाँ से हल ,
हंगामा बड़ा बरपा आधी रात के ऊपर ।
वो क्यूँ नही खुशहाली चाहते हैं देश की ,,
उतरते नही खड़े क्यूँ अपनी बात के ऊपर ।
दिखाती नही गरीबी बेबसी गरीब की ,
एनक लगा हुआ है सबकी आँख के ऊपर ।
चुनाव आने को है फिर निकले रंगे सियार ,
गाते हैं गीत अपने करामात के ऊपर ,
जनता है फिर उलझन में मुहर किस पे लगाये ,
बुडे हालात के उपर या उनके हाथ के ऊपर ।
Friday, May 24, 2013
''जनाब इश्क में ऐसे ही हाल रहते हैं । ''
आजकल हम बड़े ही बेखयाल रहते हैं ।
दिल में न जाने क्यूँ इतने सवाल रहते हैं ।
दिल से पूछा तो कहा उसने खुमारी का सबब ,
''जनाब इश्क में ऐसे ही हाल रहते हैं । ''
दिल में न जाने क्यूँ इतने सवाल रहते हैं ।
दिल से पूछा तो कहा उसने खुमारी का सबब ,
''जनाब इश्क में ऐसे ही हाल रहते हैं । ''
वादों ने कहा मुझसे
जान-बुझकर जब हम ये सोंचकर गिरे ,,
देखें सम्भालने भला आता है मुझे कौन ।
वादों ने कहा मुझसे ; जब कोई नही आया ,
मैं कहने की चीज हूँ, निभाता है मुझे कौन।
देखें सम्भालने भला आता है मुझे कौन ।
वादों ने कहा मुझसे ; जब कोई नही आया ,
मैं कहने की चीज हूँ, निभाता है मुझे कौन।
शायरी
तेरी याद में जब रोते हैं तो सोंचते हैं हम ,
तुम आके रोक लोगे और रोने नही दोगे ।
आँखों से लेके आंसूं मेरे सीने से लेके गम ,
लग के गले से गमजदा होने नही दोगे ।
तुम आके रोक लोगे और रोने नही दोगे ।
आँखों से लेके आंसूं मेरे सीने से लेके गम ,
लग के गले से गमजदा होने नही दोगे ।
Thursday, May 23, 2013
शायरी
हर रोज एक - दूजे को देते हैं सफाई ।
कभी इसकी दुहाई तो कभी उसकी दुहाई ।
इसी बात में तो दोस्ती का असली मजा है ,
कभी गुस्से में प्यार हो कभी प्यार में लड़ाई ।
कभी इसकी दुहाई तो कभी उसकी दुहाई ।
इसी बात में तो दोस्ती का असली मजा है ,
कभी गुस्से में प्यार हो कभी प्यार में लड़ाई ।
Wednesday, May 22, 2013
लोग हकीकत को फसाने में बदल देते हैं ।
लोग हकीकत को फसाने में बदल देते हैं ।
तोड़ के जनमों के वादों को भी चल देते हैं ।
कितनी हसरत से सजाता है कोई दिल का जहाँ ,
कोई पल में उजाड़ दिल को निकल लेते हैं ।
फूल डाली पे ही कितना हसीन लगता है ,
खामखाह तोड़ के उसको क्यूँ मसल देते है ।
मसला गहरा है सोंचते हैं उनसे पूछेंगे ,
बड़े शातिर हैं वो बातों को बदल देते हैं ।
वो खामोश है उनको भी मुहब्बत है हुई ,
झूठे भरम में अपने दिल को भी छल लेते हैं ।
कितनी हालत बुरी है देश की कहना मुश्किल ,
और वो कहते हैं की विकास पे बल देते हैं ।
लोग रोते तो दिखते हैं हर चौराहे पे ,
रात ढलते ही आंसूं पोछ के चल देते हैं ।
तोड़ के जनमों के वादों को भी चल देते हैं ।
कितनी हसरत से सजाता है कोई दिल का जहाँ ,
कोई पल में उजाड़ दिल को निकल लेते हैं ।
फूल डाली पे ही कितना हसीन लगता है ,
खामखाह तोड़ के उसको क्यूँ मसल देते है ।
मसला गहरा है सोंचते हैं उनसे पूछेंगे ,
बड़े शातिर हैं वो बातों को बदल देते हैं ।
वो खामोश है उनको भी मुहब्बत है हुई ,
झूठे भरम में अपने दिल को भी छल लेते हैं ।
कितनी हालत बुरी है देश की कहना मुश्किल ,
और वो कहते हैं की विकास पे बल देते हैं ।
लोग रोते तो दिखते हैं हर चौराहे पे ,
रात ढलते ही आंसूं पोछ के चल देते हैं ।
शायरी
उलझनें हैं बहुत इनमे उलझ के न बिखड़ना ।
बेवजह दुनियां के झमेले में न पड़ना ।
ये जिन्दगी सदा दोस्तों के साथ बसर हो ,
इतनी सी दुआ करना कुछ और न करना ।
बेवजह दुनियां के झमेले में न पड़ना ।
ये जिन्दगी सदा दोस्तों के साथ बसर हो ,
इतनी सी दुआ करना कुछ और न करना ।
Tuesday, May 21, 2013
शायरी
तुम रहो साथ अमावस भी हो दिवाली है ।
तुम न हो चांदनी खिली भी हो तो काली है ।
शाम ढलते ही यही बात सताती है मुझे ,,
तुम नही आओगे फिर रात होने वाली है ।
तुम न हो चांदनी खिली भी हो तो काली है ।
शाम ढलते ही यही बात सताती है मुझे ,,
तुम नही आओगे फिर रात होने वाली है ।
Monday, May 20, 2013
शायरी
किसी की जिन्दगी में इसकदर शामिल ना हो ।
जब निकलना हो ,निकलने में मुश्किल ना हो ।
दिल लगाने में इतना तो एहतियात रखें ,,
मिलने बिछड़ने में जख्मी किसी का दिल ना हो ।
जब निकलना हो ,निकलने में मुश्किल ना हो ।
दिल लगाने में इतना तो एहतियात रखें ,,
मिलने बिछड़ने में जख्मी किसी का दिल ना हो ।
शायरी
ना जानू किस हाथ ने थामी मन की डोर ,,,
कलम तो मेरे हाथ है लिखने वाला और ।
नजरें सबकी मुझपे है मेरे नाम का शोर ,,,
करता तो कोई ऒर है सर मेरे सिरमौर ।
कलम तो मेरे हाथ है लिखने वाला और ।
नजरें सबकी मुझपे है मेरे नाम का शोर ,,,
करता तो कोई ऒर है सर मेरे सिरमौर ।
Saturday, May 18, 2013
Friday, May 17, 2013
बदलाव क्यूँ नही आती
बदलाव क्यूँ नही आती ,,बदलाव क्यूँ नही आती ,,
नारे रोज लगते हैं बदलाव ही नही आती ।
अगर कहने से कुछ होता तो क्या कुछ हो गया होता ,
बदलाव कही तो जाती है ,बदलाव की नही जाती ।
न हमने सोंच बदली है न हमने राह बदली है ,,
नसीहत दे तो आते हैं नसीहत ली नही जाती ।
बदलता वक्त का पहिया अपने चाल को हर दिन ,
मगर आदत है की इंसान की बदली नही जाती ।
नारे रोज लगते हैं बदलाव ही नही आती ।
अगर कहने से कुछ होता तो क्या कुछ हो गया होता ,
बदलाव कही तो जाती है ,बदलाव की नही जाती ।
न हमने सोंच बदली है न हमने राह बदली है ,,
नसीहत दे तो आते हैं नसीहत ली नही जाती ।
बदलता वक्त का पहिया अपने चाल को हर दिन ,
मगर आदत है की इंसान की बदली नही जाती ।
Tuesday, May 14, 2013
रात की रानी
हम जगे हैं, रात जगी है , तारे जगे हैं ,चाँद जगा है ।
हम चलो बीमारे दिल हैं, इन सबको क्या रोग लगा है ।
नींद न आई कई रातों से, कुछ न कुछ मतलब तो होगा ,
खौफ नही है ,जश्न नही है , रंज नही , फिर मसला क्या है ।
रात की रानी रूठी हुई है, मानती ना है कई रातों से ,
गलतफहमियां ज्यादा हो गई , लगे है मसला बहुत बड़ा है ।
सब के सब आगोश में तेरे , इक हम से ही आँखमिचौनी ,
दामन तेरा , पहलू तेरे , रातें तेरी , तेरी रजा है ।
बैठे रहे हम राह में तेरे , पलके न झपकाए इक पल ,
इतना तो बतलादो रानी , अब फिर मिलने कब आना है ।
हम चलो बीमारे दिल हैं, इन सबको क्या रोग लगा है ।
नींद न आई कई रातों से, कुछ न कुछ मतलब तो होगा ,
खौफ नही है ,जश्न नही है , रंज नही , फिर मसला क्या है ।
रात की रानी रूठी हुई है, मानती ना है कई रातों से ,
गलतफहमियां ज्यादा हो गई , लगे है मसला बहुत बड़ा है ।
सब के सब आगोश में तेरे , इक हम से ही आँखमिचौनी ,
दामन तेरा , पहलू तेरे , रातें तेरी , तेरी रजा है ।
बैठे रहे हम राह में तेरे , पलके न झपकाए इक पल ,
इतना तो बतलादो रानी , अब फिर मिलने कब आना है ।
Sunday, May 12, 2013
HAPPY MOTHERS DAY DOSTON
जिसने मेरी गलति को मेरा बचपना कहा होगा ,,,
वो मेरी माँ है ,,,उसे मेरा दोष ही न दिखा होगा ।
वो मेरी माँ है ,,,उसे मेरा दोष ही न दिखा होगा ।
शायरी
रोज का ये फलसफा है , रोज ही ये बात होगी ।
सुबह होगी दिन ढलेगा , शाम होगी रात होगी ।
किसलिए दिल गमजदा है ,जिन्दगी बांकी अभी ,
आज अपना दिन नही है कल तो किस्मत साथ होगी ।
सुबह होगी दिन ढलेगा , शाम होगी रात होगी ।
किसलिए दिल गमजदा है ,जिन्दगी बांकी अभी ,
आज अपना दिन नही है कल तो किस्मत साथ होगी ।
Thursday, May 2, 2013
नफरत से डरते है
हमने कब कहा तुमसे,,,, हम मुहब्बत से डरते हैं ,,,
कहीं लग जाये न दिल को ये, दिल की लत से डरते हैं ,,
कल का क्या पता क्या हो ,,तुम न हाले दिल समझो ,,
हम तेरे प्यार से ज्यादा@ ,,,,,@तेरी नफरत से डरते है ।
कहीं लग जाये न दिल को ये, दिल की लत से डरते हैं ,,
कल का क्या पता क्या हो ,,तुम न हाले दिल समझो ,,
हम तेरे प्यार से ज्यादा@ ,,,,,@तेरी नफरत से डरते है ।
मुहब्बत यही है
खुदा से यही इक शिकायत रही है ,
क्यूँ सपनों के जैसा हकीकत नही है ।
नही है अगर तो ढिंढोरा न पिटो ,
समझ तो गये हम मुहब्बत नही है ।
उन्हें कोई हाँ भी तो कहना सिखादो ,
ना कहने की ये अच्छी आदत नही है ।
न देखा पलट के , नही हाल पूछा ,
सुनो यूँ मुकरना शराफत नही है ।
न समझो की तुमसे खफा हो रहे है ,
शिकायत हमारी बगावत नही है ।
सारे जहाँ को खबर हो गई पर ,
तुम ही न समझे मुहब्बत यही है ।
क्यूँ सपनों के जैसा हकीकत नही है ।
नही है अगर तो ढिंढोरा न पिटो ,
समझ तो गये हम मुहब्बत नही है ।
उन्हें कोई हाँ भी तो कहना सिखादो ,
ना कहने की ये अच्छी आदत नही है ।
न देखा पलट के , नही हाल पूछा ,
सुनो यूँ मुकरना शराफत नही है ।
न समझो की तुमसे खफा हो रहे है ,
शिकायत हमारी बगावत नही है ।
सारे जहाँ को खबर हो गई पर ,
तुम ही न समझे मुहब्बत यही है ।
Wednesday, May 1, 2013
टूटते हैं रोज सपने
टूटते तारों के जैसे टूटते हैं रोज सपने ,
सोंचते हैं हम भी अब ख़ाब बुनना छोड़ दें।
एक ही थी आरजू वो भी नही सुनता खुदा ,
बेकार है फिर बन्दगी सब कहना सुनना छोड़ दें ।
हर हाल में जीना पड़े ये भी कहो कोई बात है ,
इतनी आजादी तो मिले जब चाहे जीना छोड़ दें।
सोंचते हैं हम भी अब ख़ाब बुनना छोड़ दें।
एक ही थी आरजू वो भी नही सुनता खुदा ,
बेकार है फिर बन्दगी सब कहना सुनना छोड़ दें ।
हर हाल में जीना पड़े ये भी कहो कोई बात है ,
इतनी आजादी तो मिले जब चाहे जीना छोड़ दें।
Monday, April 29, 2013
अनमोल दिल
मेरे सीने में दहकता आग सा शोला गया ,
उसको देखा सामने, फिर न कुछ बोला गया ।
सारी बातें लब पे थी , परदा उठाना बाकि था ,
आँख पर उठी नही , लब ही न खोला गया ।
पड़ गया नाजुक सा दिल सौदागरों के हाथ में ,
हीरे सा अनमोल दिल था ,कौड़ी में तोला गया ।
वो उमर अच्छा था
इस अजनबी दुनियां में आके लगता है ,
वो भुला हुआ मेरा शहर अच्छा था ।
ये आसमान सी ऊँची उठी दीवारों से ,
वो मेरा मिटटी का टूटा हुआ घर अच्छा था ।
इस दम घोटती बंद - बंद गलियों से ,
वो पगडंडी पे चलना वो डगर अच्छा था ।
वो परियों की कहानी ,वो राजा - रानी ,
वो भूत का , चुड़ैल का डर अच्छा था ।
न खोने का गम था , न पाने की तलब,
वो सादगी ,वो भोलापन ,वो उमर अच्छा था ।
वो भुला हुआ मेरा शहर अच्छा था ।
ये आसमान सी ऊँची उठी दीवारों से ,
वो मेरा मिटटी का टूटा हुआ घर अच्छा था ।
इस दम घोटती बंद - बंद गलियों से ,
वो पगडंडी पे चलना वो डगर अच्छा था ।
वो परियों की कहानी ,वो राजा - रानी ,
वो भूत का , चुड़ैल का डर अच्छा था ।
न खोने का गम था , न पाने की तलब,
वो सादगी ,वो भोलापन ,वो उमर अच्छा था ।
Friday, April 26, 2013
तोहफे यार के
घाटे में रह गये हम हर बार की तरह ,
बस प्यार ही देते रहें चाहत में प्यार के ।
ये जज्बात हैं मेरे ,न हैं गजल या कहानी ,
ये वो दर्द है , गुजरे हैं जिसमे दिन गुजार के ।
रुसवाई है तन्हाई है , जख्मों का जहर है ,
ये रंजिश नही किसी की , ये तोहफे हैं यार के ।
बस प्यार ही देते रहें चाहत में प्यार के ।
ये जज्बात हैं मेरे ,न हैं गजल या कहानी ,
ये वो दर्द है , गुजरे हैं जिसमे दिन गुजार के ।
रुसवाई है तन्हाई है , जख्मों का जहर है ,
ये रंजिश नही किसी की , ये तोहफे हैं यार के ।
दोस्ती के दीवाने
अगर हक जताऊ जताने न देंगे ।
जो मैं दूर जाऊ तो जाने न देंगे ।
आती नही दोस्ती भी निभानी ,
निभाऊ जो मैं तो निभाने न देंगे ।
मेरे दोस्तों की तो खूबी यही है ,
कभी दोस्ती को भुलाने न देंगे ।
ख़ुशी में कभी साथ दे या नही दे ,
कभी तन्हा आंसू बहाने न देंगे ।
आदत मेरी रूठ जाने की ज्यादा ,
मगर रूठने के बहाने न देंगे ।
अगर रूठ जाऊ कभी भूल से मैं ,
बहुत देर मुझको सताने न देंगे ।
यही मांगते हैं दुआ हम खुदा से ,
ये दिन दूर दिल से अब जाने न देंगे ।
कैसे जियेंगे भला दोस्तों बिन ,
अगर दोस्ती के दीवाने न देंगे ।
जो मैं दूर जाऊ तो जाने न देंगे ।
आती नही दोस्ती भी निभानी ,
निभाऊ जो मैं तो निभाने न देंगे ।
मेरे दोस्तों की तो खूबी यही है ,
कभी दोस्ती को भुलाने न देंगे ।
ख़ुशी में कभी साथ दे या नही दे ,
कभी तन्हा आंसू बहाने न देंगे ।
आदत मेरी रूठ जाने की ज्यादा ,
मगर रूठने के बहाने न देंगे ।
अगर रूठ जाऊ कभी भूल से मैं ,
बहुत देर मुझको सताने न देंगे ।
यही मांगते हैं दुआ हम खुदा से ,
ये दिन दूर दिल से अब जाने न देंगे ।
कैसे जियेंगे भला दोस्तों बिन ,
अगर दोस्ती के दीवाने न देंगे ।
Thursday, April 25, 2013
ताज्जुब की बात है
तेरे लब पे मेरी बात है , ताज्जुब की बात है ।
ये कैसी करामात है , ताज्जुब की बात है ।
कहते हैं सब तू तकता है अब भी मेरा रस्ता ,
पर रस्ते में न साथ है , ताज्जुब की बात है ।
वादा था तेरा मुझको कभी गम नही होगा ,
गम ही दिया सौगात है , ताज्जुब की बात है ।
तू बनके तो आया था हर दिन की रौशनी ,
पर खौफ की अब रात है , ताज्जुब की बात है ।
मेरा नही हुआ तो किसी का तो हो जाता ,
अजीब तेरी जात है , ताज्जुब की बात है ।
कालिख छुड़ाया करता है सीसे को पोछकर ,
सीसा तो तुझसे साफ़ है , ताज्जुब की बात है ।
सुना है अब भी बांटता है गम तू सभी को ,
खुशियों के भी खिलाफ है , ताज्जुब की बात है ।
रो-रो के दिया करता है तू अपनी सफाई ,
नियत में फिर भी पाप है , ताज्जुब की बात है ।
तू बेवजह मढ़ता रहा है दोष सभी पे ,
और अपना दोषी आप है ,ताज्जुब की बात है ।
ये कैसी करामात है , ताज्जुब की बात है ।
कहते हैं सब तू तकता है अब भी मेरा रस्ता ,
पर रस्ते में न साथ है , ताज्जुब की बात है ।
वादा था तेरा मुझको कभी गम नही होगा ,
गम ही दिया सौगात है , ताज्जुब की बात है ।
तू बनके तो आया था हर दिन की रौशनी ,
पर खौफ की अब रात है , ताज्जुब की बात है ।
मेरा नही हुआ तो किसी का तो हो जाता ,
अजीब तेरी जात है , ताज्जुब की बात है ।
कालिख छुड़ाया करता है सीसे को पोछकर ,
सीसा तो तुझसे साफ़ है , ताज्जुब की बात है ।
सुना है अब भी बांटता है गम तू सभी को ,
खुशियों के भी खिलाफ है , ताज्जुब की बात है ।
रो-रो के दिया करता है तू अपनी सफाई ,
नियत में फिर भी पाप है , ताज्जुब की बात है ।
तू बेवजह मढ़ता रहा है दोष सभी पे ,
और अपना दोषी आप है ,ताज्जुब की बात है ।
शायरी
फिर तेरा चर्चा हुआ , आँखें हमारी नम हुई ।
धड़कने फिर बढ़ गई , साँस फिर बेदम हुई ।
चांदनी की रात थी ,,तारों का पहरा भी था ,
इसलिए ही शायद गम की आतिशबाजी कम हुई ।
धड़कने फिर बढ़ गई , साँस फिर बेदम हुई ।
चांदनी की रात थी ,,तारों का पहरा भी था ,
इसलिए ही शायद गम की आतिशबाजी कम हुई ।
Wednesday, April 24, 2013
खुबसूरत सी गलती
एक खुबसूरत सी गलती है प्यार ।
वफाओं के दम पे ही मिलती है यार ।
अगर मिल जो जाये तो खोना न इसको ,
क्यूंकि,
खो जाये तो फिर न मिलती है यार ।
वफाओं के दम पे ही मिलती है यार ।
अगर मिल जो जाये तो खोना न इसको ,
क्यूंकि,
खो जाये तो फिर न मिलती है यार ।
शायरी
प्यार से मेरे खीझकर , उसने कहा पत्थर हूँ मैं ,
वो चीज हूँ , इन्सां को भी पाषाण कर देता हूँ मैं ।
मैंने कहा इन्सान हूँ , पत्थर पे भी मरती हूँ मैं ,
पत्थर को भी गर पूज लूँ , भगवान कर सकती हूँ मैं ।
वो चीज हूँ , इन्सां को भी पाषाण कर देता हूँ मैं ।
मैंने कहा इन्सान हूँ , पत्थर पे भी मरती हूँ मैं ,
पत्थर को भी गर पूज लूँ , भगवान कर सकती हूँ मैं ।
मेरा नाम रहने देना
मेरे दोस्तों मुझपे ये एहसान रहने देना ।
मेरी मेहनत का इतना अंजाम रहने देना ।
कर लेना कॉपी पेस्ट कोई बात नही है ,
पर शायरी के निचे मेरा नाम रहने देना ।
मेरी मेहनत का इतना अंजाम रहने देना ।
कर लेना कॉपी पेस्ट कोई बात नही है ,
पर शायरी के निचे मेरा नाम रहने देना ।
शायरी
मेरे दोस्त तुझमे बगावत नही थी ,
जिन्दादिली थी , शराफत भड़ी थी ।
मगर ये खलिश क्यूँ भरम दे रही है ,
न थी दोस्ती वो तेरी दिल्लगी थी ।
जिन्दादिली थी , शराफत भड़ी थी ।
मगर ये खलिश क्यूँ भरम दे रही है ,
न थी दोस्ती वो तेरी दिल्लगी थी ।
Tuesday, April 23, 2013
शायरी
देना न उसको कोई ,
दिल का कभी पता ,
दिलों से खेलने का उसे शौख है बड़ा ।
आदत है मुहब्बत ,
और लत है आशिकी ,
खिलाडी उसे समझलो दिल का नही बुरा ।
तुम ही कहो मैं क्या करूँ
तुम ही कहो मैं क्या करूँ ,
किस बात का चर्चा करूँ ।
दिल देने से तो तुम रहे ,
बस मैं ही दिल खर्चा करूँ।
ताला लगा रखा है तूने ,
दिल के विद्यालय में क्यूँ ,
किसमें लूं मैं दाखिला ,
किस नाम से पर्चा भरूं ।
तुमने कहा कुछ कर तो लो,
दिल नाम कर डाला तेरे ,
ले दिल का सौदा कर लिया ,
अब इससे क्या अच्छा करूं।
किस बात का चर्चा करूँ ।
दिल देने से तो तुम रहे ,
बस मैं ही दिल खर्चा करूँ।
ताला लगा रखा है तूने ,
दिल के विद्यालय में क्यूँ ,
किसमें लूं मैं दाखिला ,
किस नाम से पर्चा भरूं ।
तुमने कहा कुछ कर तो लो,
दिल नाम कर डाला तेरे ,
ले दिल का सौदा कर लिया ,
अब इससे क्या अच्छा करूं।
शायरी
किसे था पता वो वफा यूँ करेगा ,
की हर रोज यूँ दोस्तों से लड़ेगा ।
न जाने की किसने उसे कह दिया है
लड़ेगा तो ज्यादा मुहब्बत बढ़ेगा ।
की हर रोज यूँ दोस्तों से लड़ेगा ।
न जाने की किसने उसे कह दिया है
लड़ेगा तो ज्यादा मुहब्बत बढ़ेगा ।
Monday, April 22, 2013
इन्सान का डर है
पेड़ों ने फूलों को ,
ऐसे दी हिदायत :-
कलियों को छुपालो ,
यहाँ तूफ़ान का डर है ।
सुना है ,
अब भगवान का ;
नही किसी को डर ,
आज के इन्सान को ,
इन्सान का डर है ।
फूलों पे जोर अपना ,
आजमा लिया उसने ,
आजकल इंसान की ,
कलियों पे नजर है ।
ऐसे दी हिदायत :-
कलियों को छुपालो ,
यहाँ तूफ़ान का डर है ।
सुना है ,
अब भगवान का ;
नही किसी को डर ,
आज के इन्सान को ,
इन्सान का डर है ।
फूलों पे जोर अपना ,
आजमा लिया उसने ,
आजकल इंसान की ,
कलियों पे नजर है ।
Sunday, April 21, 2013
इश्क खरीदारी हो गई
रात भर जागी हमारी आँख भारी हो गई ।
और वो समझे हमें , कोई बिमारी हो गई ।
कौन बोल इश्क है ये , काम भी तो है बहुत ,
बेवजह हल्ला मचाया , इश्कदारी हो गई ।
फेर कर वो चल दिए , नजरें हमारी ओर से ,
उनका तो ये खेल था , आफत हमारी हो गई ।
तबतलक मिलते थे वो , जबतक जरूरत थी मेरी ,
अब जरूरत है हमें , कहते हैं यारी हो गई ।
सोचते हैं क्या मिला, कितना मिला, कैसे मिला ,
इश्क जैसे न हुआ , कुछ खरीदारी हो गई ।
और वो समझे हमें , कोई बिमारी हो गई ।
कौन बोल इश्क है ये , काम भी तो है बहुत ,
बेवजह हल्ला मचाया , इश्कदारी हो गई ।
फेर कर वो चल दिए , नजरें हमारी ओर से ,
उनका तो ये खेल था , आफत हमारी हो गई ।
तबतलक मिलते थे वो , जबतक जरूरत थी मेरी ,
अब जरूरत है हमें , कहते हैं यारी हो गई ।
सोचते हैं क्या मिला, कितना मिला, कैसे मिला ,
इश्क जैसे न हुआ , कुछ खरीदारी हो गई ।
मेरी दोस्ती याद आये तो कहना
कोई दिल में शिकवा जो आये तो कहना ।
कभी गम कोई जो सताये तो कहना ।
अभी भीड़ में हो बहुत साथ होंगे ,
तन्हाई जी जब जलाये तो कहना ।
अभी बोलता है नशा सर पे चढके ,
कभी होश तुमको जो आये तो कहना ।
माना भरोसा नही तुमको हम पर ,
मगर शक कभी आ भी जाए तो कहना ।
कोई जब न समझे गमें हाल तेरा ,
मेरी दोस्ती याद आये तो कहना ।
कभी गम कोई जो सताये तो कहना ।
अभी भीड़ में हो बहुत साथ होंगे ,
तन्हाई जी जब जलाये तो कहना ।
अभी बोलता है नशा सर पे चढके ,
कभी होश तुमको जो आये तो कहना ।
माना भरोसा नही तुमको हम पर ,
मगर शक कभी आ भी जाए तो कहना ।
कोई जब न समझे गमें हाल तेरा ,
मेरी दोस्ती याद आये तो कहना ।
Saturday, April 20, 2013
इंसान बनना रह गया
कुछ बात बांकी रह गई ,
कुछ दर्द कहना रह गया ।
मेरे हिस्से में तो बस ,
तेरा गम ही सहना रह गया ।
जिन्दगी है इक नदी ,
इस पार मैं , उस पार तुम ,
दो पाट में हम बंट गये ,
इक साथ बहना रह गया ।
उम्रभर क्या- क्या बने ,
इसका बने , उसका बने ,
आदमी ही रह गये ,
इंसान बनना रह गया ।
कुछ दर्द कहना रह गया ।
मेरे हिस्से में तो बस ,
तेरा गम ही सहना रह गया ।
जिन्दगी है इक नदी ,
इस पार मैं , उस पार तुम ,
दो पाट में हम बंट गये ,
इक साथ बहना रह गया ।
उम्रभर क्या- क्या बने ,
इसका बने , उसका बने ,
आदमी ही रह गये ,
इंसान बनना रह गया ।
Friday, April 19, 2013
ढूंढता है अब भी दिल
ढूंढता है अब भी दिल ,
उसका ही साया किसलिए ।
वो भी तो समझे नही ,
मुझको पराया किसलिए ।
अहमियत देनी न थी जब ,
दुनियां में दिल की खुदा ,
बेवजह ही नासमझ सा ,
दिल बनाया किसलिए ।
मैं नही जाता बुलाने से भी ,
उसके पास जब ,
आता है वो याद बनके ,
बिन बुलाया किसलिए ।
दिल बड़ा नादान है ,
समझा न धोखेबाज को ,
मैं भला नादान की ,
बातों में आया किसलिए ।
उसका ही साया किसलिए ।
वो भी तो समझे नही ,
मुझको पराया किसलिए ।
अहमियत देनी न थी जब ,
दुनियां में दिल की खुदा ,
बेवजह ही नासमझ सा ,
दिल बनाया किसलिए ।
मैं नही जाता बुलाने से भी ,
उसके पास जब ,
आता है वो याद बनके ,
बिन बुलाया किसलिए ।
दिल बड़ा नादान है ,
समझा न धोखेबाज को ,
मैं भला नादान की ,
बातों में आया किसलिए ।
Thursday, April 18, 2013
दिल कि दास्ताँ
तौबा की कितना दर्द है , दुनियां के दिलों में ।
ये इश्क के मारे हुए , इन्सां के दिलों में।
लगता है की पल भर को ख़ुशी आई और गई ,
जैसे के चार पल को वो , मेहमां हो दिलों में ।
कैसी बनी दिवार थी , दीवार लग गई ,
कच्ची थी शायद इश्क की, मकां वो दिलों में ।
टुटा जो दिल , तब हमें मालूम ये हुआ ,
बसी न जाने कितनी बस्तियां हो दिलों में ।
आहिस्ते किया कीजिये , सभी बातें इश्क की ,
नाजुक है दिल , ये दिल दास्ताँ हो दिलों में ।
ये इश्क के मारे हुए , इन्सां के दिलों में।
लगता है की पल भर को ख़ुशी आई और गई ,
जैसे के चार पल को वो , मेहमां हो दिलों में ।
कैसी बनी दिवार थी , दीवार लग गई ,
कच्ची थी शायद इश्क की, मकां वो दिलों में ।
टुटा जो दिल , तब हमें मालूम ये हुआ ,
बसी न जाने कितनी बस्तियां हो दिलों में ।
आहिस्ते किया कीजिये , सभी बातें इश्क की ,
नाजुक है दिल , ये दिल दास्ताँ हो दिलों में ।
किस्सा पुराना
धडकन की लय ने जोड़ा एक तान- बाना था ।
जिन्दगी खाब थी , एक अंजाना फसाना था ।
प्यार के नाम पर इतनी कहानी याद है हमको ,
मैं उसकी दीवानी थी ,और वो मेरा दीवाना था ।
हर इक रात सुंदर थी ,परियों की कहानी सी ,
प्यार के नाम से हर एक पल, हर दिन सुहाना था ।
दुनियां की सभी बातें , बड़ी बेमानी लगती थी ,
अपने ठोकर में थी दुनियां, कदमों में जमाना था ।
अब बस यादें है बाकि , उन बीते हुए दिन की ,
वो अच्छा - बुरा जो था ,बस किस्सा पुराना था ।
जिन्दगी खाब थी , एक अंजाना फसाना था ।
प्यार के नाम पर इतनी कहानी याद है हमको ,
मैं उसकी दीवानी थी ,और वो मेरा दीवाना था ।
हर इक रात सुंदर थी ,परियों की कहानी सी ,
प्यार के नाम से हर एक पल, हर दिन सुहाना था ।
दुनियां की सभी बातें , बड़ी बेमानी लगती थी ,
अपने ठोकर में थी दुनियां, कदमों में जमाना था ।
अब बस यादें है बाकि , उन बीते हुए दिन की ,
वो अच्छा - बुरा जो था ,बस किस्सा पुराना था ।
Saturday, April 13, 2013
करूं मैं किस लिए शिकवा
मेरा मतलब नही पड़ता की मैं उस राह को देखूं ,
की जिस राह से मेरा खुदा , गुजरा नही करता ।
बहुत मंदिर बहुत मस्जिद , यूँ तो राहों में मिलते हैं ,
पर हर एक दर पे अपना सर , झुका नही करता ।
इबादत में कमी होगी , जो अब भी दूर हैं उनसे ,
करूं मैं किस लिए शिकवा की वो वफा नही करता ।
की जिस राह से मेरा खुदा , गुजरा नही करता ।
बहुत मंदिर बहुत मस्जिद , यूँ तो राहों में मिलते हैं ,
पर हर एक दर पे अपना सर , झुका नही करता ।
इबादत में कमी होगी , जो अब भी दूर हैं उनसे ,
करूं मैं किस लिए शिकवा की वो वफा नही करता ।
मैं खुद से खफा हूँ
है उसकी गलतियाँ , मगर मैं खुद से खफा हूँ ,
मै मेरा न रहा , जबसे उसका हुआ हूँ ।
इक सौदा दिल का हो गया ,नादानी में मुझसे ,
अब हाल है , अपने ही घर मेहमान बना हूँ ।
वो पूछ्ते हैं , कबतलक रुकना है बताओ ,
मैं क्या कहूँ , ये सोचके गुमसुम सा खड़ा हूँ ।
वो मुस्कुराते , जानते थे , ऐसा ही होगा ,
वो दिल था, आज का दिन , उसी दर पे पड़ा हूँ ।
मै मेरा न रहा , जबसे उसका हुआ हूँ ।
इक सौदा दिल का हो गया ,नादानी में मुझसे ,
अब हाल है , अपने ही घर मेहमान बना हूँ ।
वो पूछ्ते हैं , कबतलक रुकना है बताओ ,
मैं क्या कहूँ , ये सोचके गुमसुम सा खड़ा हूँ ।
वो मुस्कुराते , जानते थे , ऐसा ही होगा ,
वो दिल था, आज का दिन , उसी दर पे पड़ा हूँ ।
खुदा कुछ ऐसा कर
खुदा कुछ ऐसा कर की , वक्ती मंसूबा बदल जाए ,
मैं खोटा हूँ, मगर तू चाहे तो , खोटा भी चल जाये ।
सदा ठोकर खिलाकर ही , हमें क्यूँ सीख देते हो ,
गिरा के ओरों को दे सीख , हम देखें सम्भल जायें ।
माना बेवफाई में , जलन होती जियादा है ,
पर मेरा दिल जला ऐसे , दिल के गम भी जल जाये ।
बड़ी नादान है नियत , खिलाफत तुझसे करती है ,
सलीका दे इबादत का , खुराफातें निकल जाये ।
कबसे ताक में बैठा है , तेरे दीदार को ये दिल ,
जमाना छोड़ दूँ , इकबार बस तू मुझको मिल जाए ।
Thursday, April 11, 2013
Tuesday, April 9, 2013
Monday, April 8, 2013
हम दुनियाँ है
दिल के बाहर भी दुनियाँ है ।
दिल के अंदर भी दुनियाँ है ।
ये दुनियां है , वो दुनियाँ है ।
अंदर बाहर , दो दुनियाँ है ।
अंदर खाली , बाहर खाली ,
अंदर भड़ी , भड़ी दुनियाँ है ।
इनकी दुनियां , उनकी दुनियाँ ,
यारों कितनी बड़ी दुनियाँ है ।
कभी लगे है , गम दुनियाँ है ,
कभी लगे सरगम दुनियाँ है ।
दुनियां के भीतर दुनियाँ है ,
तुम दुनियाँ हो हम दुनियाँ है।
दिल के अंदर भी दुनियाँ है ।
ये दुनियां है , वो दुनियाँ है ।
अंदर बाहर , दो दुनियाँ है ।
अंदर खाली , बाहर खाली ,
अंदर भड़ी , भड़ी दुनियाँ है ।
इनकी दुनियां , उनकी दुनियाँ ,
यारों कितनी बड़ी दुनियाँ है ।
कभी लगे है , गम दुनियाँ है ,
कभी लगे सरगम दुनियाँ है ।
दुनियां के भीतर दुनियाँ है ,
तुम दुनियाँ हो हम दुनियाँ है।
तू बेवफा है
आँसू मेरे गिर रहें हैं तो क्या है ।
मैंने तुम्हे तो नही कुछ कहा है ।
टूटा मेरा दिल मुझे दर्द होगा ,
तुम तो रहो खुश तुम्हे क्या हुआ है ।
मुड -मुड के क्यूँ देखते हो मुझे जब ,
मुझसे तुम्हारा नही वास्ता है ।
लो मान ली मैंने शर्तें तुम्हारी ,
तुम्हारा ,मेरा अब अलग रास्ता है ।
बहुत आजमाइश करी तुमने दिल की ,
बुरा हाल दिल का मेरे कर दिया है ।
मैंने कभी पर शिकायत की तुमसे ,
कभी ये कहा है की तू बेवफा है ।
मैंने तुम्हे तो नही कुछ कहा है ।
टूटा मेरा दिल मुझे दर्द होगा ,
तुम तो रहो खुश तुम्हे क्या हुआ है ।
मुड -मुड के क्यूँ देखते हो मुझे जब ,
मुझसे तुम्हारा नही वास्ता है ।
लो मान ली मैंने शर्तें तुम्हारी ,
तुम्हारा ,मेरा अब अलग रास्ता है ।
बहुत आजमाइश करी तुमने दिल की ,
बुरा हाल दिल का मेरे कर दिया है ।
मैंने कभी पर शिकायत की तुमसे ,
कभी ये कहा है की तू बेवफा है ।
Saturday, April 6, 2013
Friday, April 5, 2013
हीर मेरी रोती तो होगी ।
कह न सकी पर मुझसे बिछडके , पीड उसे होती तो होगी ।
याद में मेरी सुबक - सुबक के , हीर मेरी रोती तो होगी ।
मेरी एक झलक को पहरों , तकती तो होगी खिड़की से ,
पास मुझे न पाकर वो भी , अपना चैन खोती तो होगी ।
रोज रात आँखों में उसके , मेरे सपने आते होंगे ,
मेरे एहसासों में खोकर , करवट ले सोती तो होगी ।
समझ गई होगी अब तो वो , प्यार का मतलब क्या होता है ,
नाम वफा के आते ही वो , नाम मेरा लेती तो होगी ।
मेरे बिन उसको भी जीवन , खारा सागर लगता होगा ,
मन ही मन में मेरा दिलासा , दिल को फिर देती तो होगी ।
दुनिया को तो पता यही है , की वो भी बेवफा हुई है ,
दाग लगा है जो दामन पर , सिसक - सिसक धोती तो होगी ।
याद में मेरी सुबक - सुबक के , हीर मेरी रोती तो होगी ।
मेरी एक झलक को पहरों , तकती तो होगी खिड़की से ,
पास मुझे न पाकर वो भी , अपना चैन खोती तो होगी ।
रोज रात आँखों में उसके , मेरे सपने आते होंगे ,
मेरे एहसासों में खोकर , करवट ले सोती तो होगी ।
समझ गई होगी अब तो वो , प्यार का मतलब क्या होता है ,
नाम वफा के आते ही वो , नाम मेरा लेती तो होगी ।
मेरे बिन उसको भी जीवन , खारा सागर लगता होगा ,
मन ही मन में मेरा दिलासा , दिल को फिर देती तो होगी ।
दुनिया को तो पता यही है , की वो भी बेवफा हुई है ,
दाग लगा है जो दामन पर , सिसक - सिसक धोती तो होगी ।
मुझे अच्छा नही लगता
उसके हालात पे रोना , मुझे अच्छा नही लगता ।
मगर चुपचाप भी रहना , मुझे अच्छा नही लगता ।
वो कहता भी है मुझको छोड़ दो , अब हाल पे मेरे ,
मगर यूँ बेखबर होना , मुझे अच्छा नही लगता ।
मैं कुछ समझा नही पाती , वो कुछ जता नही पाता ,
की उसका कुछ भी न कहना , मुझे अच्छा नही लगता ।
जिसके पास है गम , वो दवाई क्यूँ नही करतें ,
की यूँ तकदीर पर रहना , मुझे अच्छा नही लगता ।
मुझे मालुम है , वो पार भी आएगा दरिया से ,
उसका मझधार में बहना , मुझे अच्छा नही लगता ।
दिल की बात मैं , ये सोचकर कहती नही उससे ,
की बिना मांगे सलाह देना , मुझे अच्छा नही लगता ।
मगर चुपचाप भी रहना , मुझे अच्छा नही लगता ।
वो कहता भी है मुझको छोड़ दो , अब हाल पे मेरे ,
मगर यूँ बेखबर होना , मुझे अच्छा नही लगता ।
मैं कुछ समझा नही पाती , वो कुछ जता नही पाता ,
की उसका कुछ भी न कहना , मुझे अच्छा नही लगता ।
जिसके पास है गम , वो दवाई क्यूँ नही करतें ,
की यूँ तकदीर पर रहना , मुझे अच्छा नही लगता ।
मुझे मालुम है , वो पार भी आएगा दरिया से ,
उसका मझधार में बहना , मुझे अच्छा नही लगता ।
दिल की बात मैं , ये सोचकर कहती नही उससे ,
की बिना मांगे सलाह देना , मुझे अच्छा नही लगता ।
Thursday, April 4, 2013
Sunday, March 31, 2013
Saturday, March 30, 2013
चाहतें
इन्सान की चाहत है की ,उड़ने को पर मिले ।
और पंक्षी सोंचते हैं की , रहने को घर मिले ।
रस्ते में पड़े हैं जो , हैं मंजिल की चाह में ,
मुकम्मल हुए तो सोंचें , फिर से सफर मिले ।
बचपन में चाहत थी की , जल्दी से जवां हों ,
जवानी में फिर चाहत हुई , कच्ची उमर मिले ।
मिले न थे तो चाह थी , बस दूर से दिखें ,
दिखते ही फिर हसरत हुई , उनसे नजर मिले ।
हो जायेंगे इक दिन वो , हमारे खिलाफ भी ,
हमसे कोई अच्छा उन्हें , जो हमसफर मिले ।
और पंक्षी सोंचते हैं की , रहने को घर मिले ।
रस्ते में पड़े हैं जो , हैं मंजिल की चाह में ,
मुकम्मल हुए तो सोंचें , फिर से सफर मिले ।
बचपन में चाहत थी की , जल्दी से जवां हों ,
जवानी में फिर चाहत हुई , कच्ची उमर मिले ।
मिले न थे तो चाह थी , बस दूर से दिखें ,
दिखते ही फिर हसरत हुई , उनसे नजर मिले ।
हो जायेंगे इक दिन वो , हमारे खिलाफ भी ,
हमसे कोई अच्छा उन्हें , जो हमसफर मिले ।
हाले - इश्किया
घूरती नजरें , कहाँ - कहाँ नही गईं ।
मासूमियत जहाँ थी, बस वहां नही गईं ।
महक उठे खिजाब से ,बालों के पोर - पोर ,
पर आँखों के निचे से , झुरियां नही गईं ।
जाने को तो चले गयें , मौसम जवानी के ,
पर खाबों से , हसीन सर्दियाँ नही गईं ।
होठों से टपकाते रहें , लालच की चासनी ,
हया चली गईं , बेशर्मीयाँ नही गईं ।
उम्र का लिहाज या रब , जाने कहाँ गया ,
बुढापे में भी , हाले - इश्किया नही गई ।
मासूमियत जहाँ थी, बस वहां नही गईं ।
महक उठे खिजाब से ,बालों के पोर - पोर ,
पर आँखों के निचे से , झुरियां नही गईं ।
जाने को तो चले गयें , मौसम जवानी के ,
पर खाबों से , हसीन सर्दियाँ नही गईं ।
होठों से टपकाते रहें , लालच की चासनी ,
हया चली गईं , बेशर्मीयाँ नही गईं ।
उम्र का लिहाज या रब , जाने कहाँ गया ,
बुढापे में भी , हाले - इश्किया नही गई ।
हम उनसे मिलके रो पड़ें
इतनी बढ़ी मुश्किल की हम , मुश्किल पे रो पड़ें ।
हालत जो देखी दिल की , अपने दिल पे रो पड़ें ।
थक गये चलते , जब कोई मुकाम न मिला ,
दूर से दिखती हुई , मंजिल पे रो पड़े ।
समंदर को छान कर भी , जब मोती नही मिला ,
लिपट के समन्दर से हम , साहिल पे रो पड़ें ।
ना जाने किस लिए , वो गुनहगार बन गया ,
मजबूरी उसकी सोंच हम , कातिल पे रो पड़े ।
तन्हाइयों से उब कर , भागे थे महफिल में ,
तन्हाईयाँ मिटी न हम ,महफिल पे रो पड़े ।
हमको भी गम हुआ बहुत, उनको भी गम हुआ ,
वो हमसे मिलके रो पड़े , हम उनसे मिलके रो पड़ें ।
हालत जो देखी दिल की , अपने दिल पे रो पड़ें ।
थक गये चलते , जब कोई मुकाम न मिला ,
दूर से दिखती हुई , मंजिल पे रो पड़े ।
समंदर को छान कर भी , जब मोती नही मिला ,
लिपट के समन्दर से हम , साहिल पे रो पड़ें ।
ना जाने किस लिए , वो गुनहगार बन गया ,
मजबूरी उसकी सोंच हम , कातिल पे रो पड़े ।
तन्हाइयों से उब कर , भागे थे महफिल में ,
तन्हाईयाँ मिटी न हम ,महफिल पे रो पड़े ।
हमको भी गम हुआ बहुत, उनको भी गम हुआ ,
वो हमसे मिलके रो पड़े , हम उनसे मिलके रो पड़ें ।
Friday, March 29, 2013
शायरी
हम जिसके जख्म सीने से लगा के रहें रोते ,
वो ही शख्स रौंदकर , हमको चला गया ।
इश्क के इतिहास में ये लिख दिया गया ,
फिर बेवफा के हाथों से ,वफा छला गया ।
वो ही शख्स रौंदकर , हमको चला गया ।
इश्क के इतिहास में ये लिख दिया गया ,
फिर बेवफा के हाथों से ,वफा छला गया ।
ऐ बेपरवाह दिल ,
ऐ दिल ऐ बेपरवाह दिल ,
क्या ना सहें ,तेरे वास्ते ।
अच्छा है अब, हो जाए जुदा ,
तेरे रास्ते , मेरे रास्ते ।
क्या - क्या कहें , क्या - क्या सहें ,
किस - किस का हम शिकवा करें,
छोड़ा नही किसी काम का ,
तू ही बता , हम क्या करें ।
अच्छा सिला ये तूने दिया ,
जो भी था सब कुछ ले लिया ।
कभी हम भी दिल के नवाब थे ,
अब दरबदर मुझे कर दिया ।
जाने तेरे , हैं इरादे क्या ,
किस की गली में तू खो गया ।
मेरा होके भी , न मेरा हुआ ,
उस बेवफा का तू हो गया ।
क्या ना सहें ,तेरे वास्ते ।
अच्छा है अब, हो जाए जुदा ,
तेरे रास्ते , मेरे रास्ते ।
क्या - क्या कहें , क्या - क्या सहें ,
किस - किस का हम शिकवा करें,
छोड़ा नही किसी काम का ,
तू ही बता , हम क्या करें ।
अच्छा सिला ये तूने दिया ,
जो भी था सब कुछ ले लिया ।
कभी हम भी दिल के नवाब थे ,
अब दरबदर मुझे कर दिया ।
जाने तेरे , हैं इरादे क्या ,
किस की गली में तू खो गया ।
मेरा होके भी , न मेरा हुआ ,
उस बेवफा का तू हो गया ।
शायरी
मेरे सवाल का जवाब दे न सका वो ।
अब रूठा है , ऐसा सवाल पूछते हो क्यों ।
मैंने कहा की भूल हो गई सुनो मुझसे ,
आगे से बता देना ,तुमसे पूछना है जो ।
अब रूठा है , ऐसा सवाल पूछते हो क्यों ।
मैंने कहा की भूल हो गई सुनो मुझसे ,
आगे से बता देना ,तुमसे पूछना है जो ।
शायरी
वो मार भी डालें , तो अपनी अदा कहें ।
हम जान भी दे दें , तो भी बेवफा रहें ।
जैसे इश्क ना हुआ कोई गुनाह हो गया ,
इक इश्के खता की कहो कितनी सजा सहें ।
हम जान भी दे दें , तो भी बेवफा रहें ।
जैसे इश्क ना हुआ कोई गुनाह हो गया ,
इक इश्के खता की कहो कितनी सजा सहें ।
Thursday, March 28, 2013
शायरी
लो इस बार भी, फीकी - फीकी होरी रह गई ।
कान्हा के बिना तन्हा , ब्रज की गोरी रह गई ।
होली की मची धूम , उड़े रंग और गुलाल ,
रंगों के दिन भी , मेरी चुनर कोरी रह गई ।
कान्हा के बिना तन्हा , ब्रज की गोरी रह गई ।
होली की मची धूम , उड़े रंग और गुलाल ,
रंगों के दिन भी , मेरी चुनर कोरी रह गई ।
Wednesday, March 27, 2013
लाऊं कहाँ से ढूंढ़कर
लाऊं कहाँ से ढूंढ़कर , मैं तेरे लिए ख़ुशी ,
जब तू ही खुद अपना जहाँ ,जला के चला है ।
मैं साथ - साथ तेरे चलूं , बोल किस तरह ,
तू झूठ को ही हमनवा , बना के चला है ।
अफ़सोस ये की रखता है , फूलों से बेरुखी ,
तू रौंद के कलियों को , मुस्कुरा के चला है ।
जितनी भी बार तूने , मारा है दर्द को ,
उतनी ही बार मात उससे , खा के चला है ।
मैं लेके दवा दर्द की , दर पे खड़ी रही ,
हर बार जख्म मुझसे तू , छुपा के चला है ।
मैं छोड़ के भी साथ तेरा , छोड़ न पाई ,
और बार - बार हाथ तू , छुड़ा के चला है ।
लाऊं कहाँ से ढूंढ़कर , मैं तेरे लिए ख़ुशी ,
जब तू ही खुद अपना जहाँ ,जला के चला है ।
जब तू ही खुद अपना जहाँ ,जला के चला है ।
मैं साथ - साथ तेरे चलूं , बोल किस तरह ,
तू झूठ को ही हमनवा , बना के चला है ।
अफ़सोस ये की रखता है , फूलों से बेरुखी ,
तू रौंद के कलियों को , मुस्कुरा के चला है ।
जितनी भी बार तूने , मारा है दर्द को ,
उतनी ही बार मात उससे , खा के चला है ।
मैं लेके दवा दर्द की , दर पे खड़ी रही ,
हर बार जख्म मुझसे तू , छुपा के चला है ।
मैं छोड़ के भी साथ तेरा , छोड़ न पाई ,
और बार - बार हाथ तू , छुड़ा के चला है ।
लाऊं कहाँ से ढूंढ़कर , मैं तेरे लिए ख़ुशी ,
जब तू ही खुद अपना जहाँ ,जला के चला है ।
शायरी
दो ही कदम चले थे , थक के चूर हो गये ।
वो बेरुखी से , पल में , हम से दूर हो गये ।
हम अब तलक ये राज समझ ही नही सके ,
वो मजबूर हुए थे या की मगरूर हो गये ।
वो बेरुखी से , पल में , हम से दूर हो गये ।
हम अब तलक ये राज समझ ही नही सके ,
वो मजबूर हुए थे या की मगरूर हो गये ।
शायरी
झूठी ख़ुशी से अच्छा है , उदास ही रहें ।
क्यूँ बेवजह ही हम किसी की आस में रहें ।
तुम आके चले जाओ , इससे भला है ये ,
ना ही मिलो , ना दिल तेरी तलाश में रहे ।
क्यूँ बेवजह ही हम किसी की आस में रहें ।
तुम आके चले जाओ , इससे भला है ये ,
ना ही मिलो , ना दिल तेरी तलाश में रहे ।
मैं गैर हूँ तुम गैर हो
मैं गैर हूँ , तुम गैर हो , ये शोर मत करो ।
मुंह मोडकर यूँ , पीठ मेरी ओर मत करो ।
दुनियां की तो आदत है , अच्छा बुरा कहना ,
सच बात सुनो , झूठ पर यूँ गौर मत करो ।
शोहबत खराब है , शराब की शबाब की ,
उनकी गली में जाके अपना ठौर मत करो ।
जाना कहाँ हैं सोंचलो , फिर रास्ता चुनो ,
नफरत की आग में ,ये अंधी दौड़ मत करो ।
बे - सबब जलने से , कुछ भी नही हासिल ,
खुशियों को ठुकराके गम से होड़ मत करो ।
मुंह मोडकर यूँ , पीठ मेरी ओर मत करो ।
दुनियां की तो आदत है , अच्छा बुरा कहना ,
सच बात सुनो , झूठ पर यूँ गौर मत करो ।
शोहबत खराब है , शराब की शबाब की ,
उनकी गली में जाके अपना ठौर मत करो ।
जाना कहाँ हैं सोंचलो , फिर रास्ता चुनो ,
नफरत की आग में ,ये अंधी दौड़ मत करो ।
बे - सबब जलने से , कुछ भी नही हासिल ,
खुशियों को ठुकराके गम से होड़ मत करो ।
Tuesday, March 26, 2013
HAPPY HOLI MITRON
वक्त है , दस्तूर है , मौका है , सुनो मत चूकना ।
रंग देना प्यार के , रंग में हर एक को ।
नील - पीले , लाल - गुलाबी , रंग हो कोई मगर ,
रंगने वाले के दिल में , भावना बस नेक हो ।
रंग देना प्यार के , रंग में हर एक को ।
नील - पीले , लाल - गुलाबी , रंग हो कोई मगर ,
रंगने वाले के दिल में , भावना बस नेक हो ।
Sunday, March 24, 2013
शायरी
खुशियों की तलाश में , कई गम भी मिले हैं ।
मुस्कान की चाहत की तो मातम भी मिले हैं ।
कभी जानवर इन्सां से वफादार भी मिलें ,
कभी आदम को ही लूटते आदम भी मिले हैं ।
मुस्कान की चाहत की तो मातम भी मिले हैं ।
कभी जानवर इन्सां से वफादार भी मिलें ,
कभी आदम को ही लूटते आदम भी मिले हैं ।
ये कैसी दोस्ती है
ये कैसी दोस्ती है , जिसमें दोनों व्यस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।
मिलते हैं तो कहते हैं की मिलते नही हो क्यूँ ,
बहाने बनाने में तो , दोनों अभ्यस्त हैं ।
पूछने से पहले ही , हो जाते हैं शुरू ,
उलझे हुए जीवन से आज , कितने त्रस्त हैं ।
न वक्त है , न मौक़ा है , न दिल की आरजू ,
वो भी अपने में मस्त है , हम भी अपने में मस्त है ।
न उनको कोई दर्द है , न हमारे दिल में खार ,
न ये उनकी शिकस्त है , न हमारी शिकस्त है ।
ये कैसी दोस्ती है , जिसमें दोनों व्यस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।
मिलते हैं तो कहते हैं की मिलते नही हो क्यूँ ,
बहाने बनाने में तो , दोनों अभ्यस्त हैं ।
पूछने से पहले ही , हो जाते हैं शुरू ,
उलझे हुए जीवन से आज , कितने त्रस्त हैं ।
न वक्त है , न मौक़ा है , न दिल की आरजू ,
वो भी अपने में मस्त है , हम भी अपने में मस्त है ।
न उनको कोई दर्द है , न हमारे दिल में खार ,
न ये उनकी शिकस्त है , न हमारी शिकस्त है ।
ये कैसी दोस्ती है , जिसमें दोनों व्यस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।
Thursday, March 21, 2013
इंसानियत ही उठ गई यारों
दुनियां से जब इंसानियत ही उठ गई यारों ,
हम अपने आप को भला इंसान कहे क्यों ।
इक दौर था जब खुद के हम भी नही हुए ,
फिर तुम न हुए मेरे तो बेइमान कहे क्यों ।
रास्तों के पत्थर भी तो रस्ता दिखाते हैं ,
मन्दिर के पत्थर को ही भगवान कहे क्यों ।
न रख सके ईमान मुसल्लम ऐ दोस्तों ,
वो झूठ - मुठ खुद को मुसलमान कहे क्यों ।
मैंने कहा की झूठ बोल के मिलेगा क्या ,
बोला ; नही जब सच का यहाँ मान कहे क्यों ।
रहने दो बाकी बात को बाकी मेरे दिल में ,
हो जाओगे तुम ज्यादा परेशान कहे क्यों ।
हम अपने आप को भला इंसान कहे क्यों ।
इक दौर था जब खुद के हम भी नही हुए ,
फिर तुम न हुए मेरे तो बेइमान कहे क्यों ।
रास्तों के पत्थर भी तो रस्ता दिखाते हैं ,
मन्दिर के पत्थर को ही भगवान कहे क्यों ।
न रख सके ईमान मुसल्लम ऐ दोस्तों ,
वो झूठ - मुठ खुद को मुसलमान कहे क्यों ।
मैंने कहा की झूठ बोल के मिलेगा क्या ,
बोला ; नही जब सच का यहाँ मान कहे क्यों ।
रहने दो बाकी बात को बाकी मेरे दिल में ,
हो जाओगे तुम ज्यादा परेशान कहे क्यों ।
नफरत प्यार में बदलो
प्यार नफरत में बदलोगे तो मुश्किल होगी ,
नफरत प्यार में बदलो तो कोई बात बने ।
बिना चले ही सम्भलने का हुनर क्या कीजे ,
गिर जाओ फिर सम्भलो तो कोई बात बने ।
अपना ही दर्द बस रोया किया हर कोई यहाँ ,
दिल पे गम और का लेलो तो कोई बात बने ।
किसी के दिल के टूटने का दर्द ना समझे ,
कभी अपने आप से खेलो तो कोई बात बने ।
नफरत प्यार में बदलो तो कोई बात बने ।
बिना चले ही सम्भलने का हुनर क्या कीजे ,
गिर जाओ फिर सम्भलो तो कोई बात बने ।
अपना ही दर्द बस रोया किया हर कोई यहाँ ,
दिल पे गम और का लेलो तो कोई बात बने ।
किसी के दिल के टूटने का दर्द ना समझे ,
कभी अपने आप से खेलो तो कोई बात बने ।
शायरी
चांदनी रात में जलना ही मुकद्दर है मेरी ।
न जाने कितनी बेकरारी अंदर है मेरी ।
मेरी कहानी इतनी सी है हमदम मेरे ,
प्यासे बैठे हैं, आँखों में समन्दर है मेरी ।
न जाने कितनी बेकरारी अंदर है मेरी ।
मेरी कहानी इतनी सी है हमदम मेरे ,
प्यासे बैठे हैं, आँखों में समन्दर है मेरी ।
शायरी
खुशबू की तरह दिल में , उतर जाते हो तुम ।
दूर होके भी पास , नजर आते हो तुम ।
कई बात बिन कहे भी कह जाते हो तुम ,
जाते- जाते भी दिल में ,रह जाते हो तुम ।
दूर होके भी पास , नजर आते हो तुम ।
कई बात बिन कहे भी कह जाते हो तुम ,
जाते- जाते भी दिल में ,रह जाते हो तुम ।
Wednesday, March 13, 2013
शायरी
गम पूछने वाले हजार लोग मिलते हैं ,
मिलता नही कहीं कोई गम बांटने वाला ।
इश्के - जहर बना के खुदा भूल ही गया ,
इक काट न बनाया , जहर काटने वाला ।
मिलता नही कहीं कोई गम बांटने वाला ।
इश्के - जहर बना के खुदा भूल ही गया ,
इक काट न बनाया , जहर काटने वाला ।
जीवन बीमा
शनिवार - रविवार ,
सोमवार - मंगलवार ।
आज बीमार ,कल बीमार ,
परसों बीमार ,नरसो बीमार ।
हद हो गई अब तो यार ,
रोज- रोज ही रहें बीमार ।
जीवन के तोहफे ये चार ,
सर्दी - खांसी ,नजला - बुखार ।
पड़ी बिमारी की वो मार ,
दवा - दुआ अब सब बेकार ।
बोले हम जीवन से हार ,
हे यमराज लगाओ पार ।
हंसके बोले यम सरकार ,
मरना है तो दूँ मैं मार ।
पर इतना कर जा उपकार ,
देगा दुआ तेरा परिवार ।
छोड़ने से पहले संसार ,
जीवन बीमा करलो यार ।
सोमवार - मंगलवार ।
आज बीमार ,कल बीमार ,
परसों बीमार ,नरसो बीमार ।
हद हो गई अब तो यार ,
रोज- रोज ही रहें बीमार ।
जीवन के तोहफे ये चार ,
सर्दी - खांसी ,नजला - बुखार ।
पड़ी बिमारी की वो मार ,
दवा - दुआ अब सब बेकार ।
बोले हम जीवन से हार ,
हे यमराज लगाओ पार ।
हंसके बोले यम सरकार ,
मरना है तो दूँ मैं मार ।
पर इतना कर जा उपकार ,
देगा दुआ तेरा परिवार ।
छोड़ने से पहले संसार ,
जीवन बीमा करलो यार ।
शायरी
खाबों के गुलशन में , पलने तो दो ।
कोंपल से बाहर, निकलने तो दो ।
अभी से मेरी खुशबू क्यूँ मापते हो ,
कली हूँ ,मुझे फूल बनने तो दो ।
कोंपल से बाहर, निकलने तो दो ।
अभी से मेरी खुशबू क्यूँ मापते हो ,
कली हूँ ,मुझे फूल बनने तो दो ।
शायरी
मिलती हुई झुकती हुई , नजरों का सितम है ।
तुमको भी कसम है सनम , हमको भी कसम है ।
मिल जाए तब समझना , हकीकत है मुहब्बत ,
खो जाए तो कह देना की ये दिल का भरम है ।
तुमको भी कसम है सनम , हमको भी कसम है ।
मिल जाए तब समझना , हकीकत है मुहब्बत ,
खो जाए तो कह देना की ये दिल का भरम है ।
Sunday, March 10, 2013
शायरी
किस ओर वो चल देगा कब,उसको नही पता ,
हवा की तरह उसका , आशियाँ नही कहीं ।
मैंने उसे ढूंढा बहुत , मिला नही मुझे ,
मिले जाये तो कह देना , उसका भी है कोई ।
हवा की तरह उसका , आशियाँ नही कहीं ।
मैंने उसे ढूंढा बहुत , मिला नही मुझे ,
मिले जाये तो कह देना , उसका भी है कोई ।
इधर भी प्यार है अभी उधर भी प्यार है
शिकायतों का सिलसिला चलेगा बहुत दिन ,
लगता है दिल में भर गया बहुत गुबार है ।
मुफलिसी के दिन गुजर गये हैं दोस्तों ,
जेब में पैसा है अब अपने हजार हैं ।
चाहते तो सब हैं की इंसानियत रहे ,
खुद पे बात आई तो फिर सब बेकार है ।
कल तलक जो चैन था सुकून था दिल का ,
दर्द बनके अब वही सर पे सवार है ।
सालों बाद उनका संदेशा मिला हमें ,
लिखा था की अब भी हम तेरे बीमार हैं ।
जमाने बाद भी वफा का रंग न उतरा ,
इधर भी प्यार है अभी उधर भी प्यार है ।
लगता है दिल में भर गया बहुत गुबार है ।
मुफलिसी के दिन गुजर गये हैं दोस्तों ,
जेब में पैसा है अब अपने हजार हैं ।
चाहते तो सब हैं की इंसानियत रहे ,
खुद पे बात आई तो फिर सब बेकार है ।
कल तलक जो चैन था सुकून था दिल का ,
दर्द बनके अब वही सर पे सवार है ।
सालों बाद उनका संदेशा मिला हमें ,
लिखा था की अब भी हम तेरे बीमार हैं ।
जमाने बाद भी वफा का रंग न उतरा ,
इधर भी प्यार है अभी उधर भी प्यार है ।
Saturday, March 9, 2013
दोस्ती निभाती रही बेपनाह मैं
घुटती हुई सांसें तेरी , मेरी पनाह में ।
टूटा हुआ दिल , दर्द सुनाता है राह में ।
मत पूछ की मैंने निभाई कैसे दोस्ती ,
बेचैन जब हुआ है तू , डूबी मैं आह में ।
मैंने तो है हर हाल में , निभाई दोस्ती ,
दुश्मन बना लिया भले , तूने निगाह में ।
अच्छा बुरा जो भी कहा , नफरत न थी मेरी ,
बरबादियों से कर रही थी , बस आगाह मैं ।
तू बैर निभाता रहा है , मुझसे बेवजह ,
और दोस्ती निभाती रही , बेपनाह मैं ।
टूटा हुआ दिल , दर्द सुनाता है राह में ।
मत पूछ की मैंने निभाई कैसे दोस्ती ,
बेचैन जब हुआ है तू , डूबी मैं आह में ।
मैंने तो है हर हाल में , निभाई दोस्ती ,
दुश्मन बना लिया भले , तूने निगाह में ।
अच्छा बुरा जो भी कहा , नफरत न थी मेरी ,
बरबादियों से कर रही थी , बस आगाह मैं ।
तू बैर निभाता रहा है , मुझसे बेवजह ,
और दोस्ती निभाती रही , बेपनाह मैं ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
जितना बोले समझो कम हैं ।
बेचैनी का आलम ये है ,
बिन पाए खोने का गम है ।
आगे कुआँ पीछे खाई ,
कोई युक्ति काम न आई ,
चलने को बेताब कदम हैं ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
सामने हैं आँखों के सपना ,
कुछ पल में हो जाता अपना ,
पर पैसे कुछ जेब में कम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
उनको दिल की बात बताई ,
सोचा होगी पास दवाई ,
वो बोले , उनको भी गम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
चाय में चीनी कम पडती है ,
झिक -झिक रोज हुआ करती है ,
महंगाई का ये मातम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
जितना बोले समझो कम हैं ।
बेचैनी का आलम ये है ,
बिन पाए खोने का गम है ।
आगे कुआँ पीछे खाई ,
कोई युक्ति काम न आई ,
चलने को बेताब कदम हैं ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
सामने हैं आँखों के सपना ,
कुछ पल में हो जाता अपना ,
पर पैसे कुछ जेब में कम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
उनको दिल की बात बताई ,
सोचा होगी पास दवाई ,
वो बोले , उनको भी गम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
चाय में चीनी कम पडती है ,
झिक -झिक रोज हुआ करती है ,
महंगाई का ये मातम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
Friday, March 8, 2013
तूफान और मैं
हर बार जब तूफ़ान घर उजाड़ कर गया ।
मैंने जहाँ बसा लिया पहले से भी नया ।
टूटी मेरी कस्ती मगर , टूटा न हौसला ,
मैं हार जब न मानी तूफां , हार कर गया ।
जाते हुए कहने लगा , कुछ बात है तुझमे ,
हर बार मेरा वार तू , बेकार कर गया ।
ठोकर लगाई इतनी , तुझे तोड़ न पायें ,
ले जाते - जाते हार मैं , स्वीकार कर गया ।
मैं बोली , कहा किसने , की दुश्मन हो तुम मेरे ,
ऐ दोस्त तू तो मुझपे कई , उपकार कर गया ।
पता बता गया तू मुझको , मेरे हुनर का ,
उजाड़ने आया था पर , संवार कर गया ।
कहने लगा तेरी यही , 'अदा ' पसंद है ,
ले दर पे तेरे दिल भी अपना , हार कर गया ।
तूफ़ान ने भले ही , बिगाड़ा था बहुत कुछ ,
लेकिन वो जाते -जाते फिर , बहार कर गया ।
मैंने जहाँ बसा लिया पहले से भी नया ।
टूटी मेरी कस्ती मगर , टूटा न हौसला ,
मैं हार जब न मानी तूफां , हार कर गया ।
जाते हुए कहने लगा , कुछ बात है तुझमे ,
हर बार मेरा वार तू , बेकार कर गया ।
ठोकर लगाई इतनी , तुझे तोड़ न पायें ,
ले जाते - जाते हार मैं , स्वीकार कर गया ।
मैं बोली , कहा किसने , की दुश्मन हो तुम मेरे ,
ऐ दोस्त तू तो मुझपे कई , उपकार कर गया ।
पता बता गया तू मुझको , मेरे हुनर का ,
उजाड़ने आया था पर , संवार कर गया ।
कहने लगा तेरी यही , 'अदा ' पसंद है ,
ले दर पे तेरे दिल भी अपना , हार कर गया ।
तूफ़ान ने भले ही , बिगाड़ा था बहुत कुछ ,
लेकिन वो जाते -जाते फिर , बहार कर गया ।
जीने का मजा
कितना बुरा लगता है जब ,
जिद करते हो और लड़ते हो ।
फिर कितना अच्छा लगता है ,
जब प्यार से गुडिया कहते हो ।
इक चिढ़ता एक चिढाता है ,
इक रूठे दूजा मनाता है ।
है गुड्डा गुडिया खेल सही ,
पर दिल को कितना भाता है ।
हर रोज लड़ाई होती है ,
तकरार प्यार में चलता है ।
तभी कहते है , जीने का मजा ,
दोस्तों के संग ही मिलता है ।
जिद करते हो और लड़ते हो ।
फिर कितना अच्छा लगता है ,
जब प्यार से गुडिया कहते हो ।
इक चिढ़ता एक चिढाता है ,
इक रूठे दूजा मनाता है ।
है गुड्डा गुडिया खेल सही ,
पर दिल को कितना भाता है ।
हर रोज लड़ाई होती है ,
तकरार प्यार में चलता है ।
तभी कहते है , जीने का मजा ,
दोस्तों के संग ही मिलता है ।
Thursday, March 7, 2013
तुम मुझको अच्छे लगते हो
कभी मैं देखूं कभी तुम देखो ,
मैं मुस्काऊ तुम मुस्काओ ।
मैं कुछ बोलू फिर तुम बोलो ,
फिर मिलना आते जाते हो ।
फिर रोज - रोज मुलाकातें हो ।
मैं तोहफे दूँ तुम तोहफे दो ।
कुछ पल लम्हें यूँ ही बीतें ,
संग -संग हँसते गाते जीते ।
तब जाके राजे दिल खोले ,
एहसास कहें हौले - हौले ।
फिर प्यार भरा आलिंगन हो ,
तब जाके प्रेममय जीवन हो ।
पर इन बातों का वक्त कहाँ ,
तुम भी ये बात समझते हो ।
लो सीधा - सीधा कहती हूँ ,
तुम मुझको अच्छे लगते हो ।
मैं मुस्काऊ तुम मुस्काओ ।
मैं कुछ बोलू फिर तुम बोलो ,
फिर मिलना आते जाते हो ।
फिर रोज - रोज मुलाकातें हो ।
मैं तोहफे दूँ तुम तोहफे दो ।
कुछ पल लम्हें यूँ ही बीतें ,
संग -संग हँसते गाते जीते ।
तब जाके राजे दिल खोले ,
एहसास कहें हौले - हौले ।
फिर प्यार भरा आलिंगन हो ,
तब जाके प्रेममय जीवन हो ।
पर इन बातों का वक्त कहाँ ,
तुम भी ये बात समझते हो ।
लो सीधा - सीधा कहती हूँ ,
तुम मुझको अच्छे लगते हो ।
शायरी
ढपोरशंख की डफली लेकर , वादों का दम भरते नेता ।
जनता की झोली के धन से , अपनी झोली भरते नेता ।
भ्रष्टाचार की कालिख लेकर , खेला करते रोज ही होली ,
भारत माँ की मैली चादर ,और भी मैली करते नेता ।
जनता की झोली के धन से , अपनी झोली भरते नेता ।
भ्रष्टाचार की कालिख लेकर , खेला करते रोज ही होली ,
भारत माँ की मैली चादर ,और भी मैली करते नेता ।
Monday, March 4, 2013
शायरी
बिखरे हुए अरमानों के एहसास में जलूं ।
या वक्त बदलने के विश्वास में चलूं ।
रुक के ठहर के बिन लूँ टूटे हुए सपने ,
या फिर से नये खाब की तलाश में चलूं ।
या वक्त बदलने के विश्वास में चलूं ।
रुक के ठहर के बिन लूँ टूटे हुए सपने ,
या फिर से नये खाब की तलाश में चलूं ।
Sunday, March 3, 2013
यूँ ही नही कोई हालात से डरता होगा
यूँ ही नही कोई हालात से डरता होगा ।
झूठ कहता है तो सच बात से डरता होगा ।
तन्हा छोड़ गया होगा जब कोई राहों में ,
इसीलिए वो किसी साथ से डरता होगा ।
नींद जब लाख मनाने से न मानी होगी ,
तभी वो जागती हर रात से डरता होगा ।
नही देता है किसी को भी अपने दिल का पता ,
पुराने जख्म के आघात से डरता होगा ।
कभी फुर्सत में भी खुद से हंसके मिलता नही ,
दिल जलाते हुए जज्बात से डरता होगा ।
यूँ ही नही कोई हालात से डरता होगा ।
झूठ कहता है तो सच बात से डरता होगा ।
झूठ कहता है तो सच बात से डरता होगा ।
तन्हा छोड़ गया होगा जब कोई राहों में ,
इसीलिए वो किसी साथ से डरता होगा ।
नींद जब लाख मनाने से न मानी होगी ,
तभी वो जागती हर रात से डरता होगा ।
नही देता है किसी को भी अपने दिल का पता ,
पुराने जख्म के आघात से डरता होगा ।
कभी फुर्सत में भी खुद से हंसके मिलता नही ,
दिल जलाते हुए जज्बात से डरता होगा ।
यूँ ही नही कोई हालात से डरता होगा ।
झूठ कहता है तो सच बात से डरता होगा ।
Thursday, February 28, 2013
मुहब्बत भी है
दर्द से गहरा भी है ,
मुझमे ही ठहरा भी है ।
माना अब किस्सा ही हैं ,
पर तू मेरा हिस्सा ही हैं ।
जिन्दगी की भूल भी ,
फूल भी है शूल भी ।
दर्द भी और प्यास भी ,
प्यार का एहसास भी ।
गैर सा लगता भी है ।
और मेरा अपना भी है ।
रंज भी , नफरत भी है ।
पर सच कहूँ ,मुहब्बत भी है ।
मुझमे ही ठहरा भी है ।
माना अब किस्सा ही हैं ,
पर तू मेरा हिस्सा ही हैं ।
जिन्दगी की भूल भी ,
फूल भी है शूल भी ।
दर्द भी और प्यास भी ,
प्यार का एहसास भी ।
गैर सा लगता भी है ।
और मेरा अपना भी है ।
रंज भी , नफरत भी है ।
पर सच कहूँ ,मुहब्बत भी है ।
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