मुझको ये तेरी बेरुखी कहीं मार न डाले ।
ऐ दोस्त मेरी दोस्ती का ये सिला न दे ।
कितनी दुआओं बाद मिली ऐसी दोस्ती ,
तुझको कसम न तोड़ के मिटटी में मिला दे ।
ऐ दोस्त मेरी दोस्ती का ये सिला न दे ।
कितनी दुआओं बाद मिली ऐसी दोस्ती ,
तुझको कसम न तोड़ के मिटटी में मिला दे ।
मुझको ये तेरी बेरुखी कहीं मार न डाले ।
ReplyDeleteऐ दोस्त मेरी दोस्ती का ये सिला न दे ।
कितनी दुआओं बाद मिली ऐसी दोस्ती ,
तुझको कसम न तोड़ के मिटटी में मिला दे ।
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
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dhanywad................Madan Mohan Saxena ji ............jrur jaungi smay mila to .
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