लो इस बार भी, फीकी - फीकी होरी रह गई ।
कान्हा के बिना तन्हा , ब्रज की गोरी रह गई ।
होली की मची धूम , उड़े रंग और गुलाल ,
रंगों के दिन भी , मेरी चुनर कोरी रह गई ।
कान्हा के बिना तन्हा , ब्रज की गोरी रह गई ।
होली की मची धूम , उड़े रंग और गुलाल ,
रंगों के दिन भी , मेरी चुनर कोरी रह गई ।
No comments:
Post a Comment