जाने मेरी वफ़ा का कब तुमपे असर हो ।
आवाज देके थक गये ना जाने किधर हो ।
ऐसा न हो तेरे प्यार में हो जाए फना हम ,
बेवजह इल्जामें - कत्ल आपके सर हो ।
नफरत को भी गर चाहें मुहब्बत में बदल दें ,
दुश्मन को माफ़ करने का मिजाज़ अगर हो ।
मलाल जिन्दगी से रखते हैं दीवाने ,
जो इश्क के मारे उन्हें क्यूँ मौत का डर हो ।
ऐसी अदा देखि न थी पहले कहीं तौबा ,
न तीर न खंजर चले पर चाक जिगर हो ।
तुम जित गये दिल मेरा हम हार गये दिल ,
जो भी था मेरा आज से सब तुझको नजर हो ।
Bahut hi sundar pestuti,dhnyabad.
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