Tuesday, April 9, 2013

इश्क छोड़ा न जा सका

खाब टूटने से इस कदर दिल टूट गया था ,
की लाख कोशिशों के बाद भी जोड़ा न जा सका ।

बरबादियों के धार में , ऐसी लहर उठी ,
बांध बांधा न जा सका , रुख मोड़ा न जा सका ।

उसने इस कदर आदत लगाई इश्क की मुझको ,
सांसें छुट भी गईं  , इश्क छोड़ा न जा सका ।


3 comments:

  1. बाह सुन्दर ,सरस रचना . बधाई .
    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आने का कष्ट करें .

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  2. उसने इस कदर आदत लगाई इश्क की मुझको ,
    सांसें छुट भी गईं , इश्क छोड़ा न जा सका ...

    Vaah .. Kya lajawab baatkahi hai ... Ishq aisi bimaari hai jo chootti nahi umr bhar ...

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  3. दिगम्बर नासवा ji ,Madan Mohan Saxena ji ...
    .bhut bhut dhnyavad .

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