दिल तो इश्क का राही था मुलाजिम तो न था ,
कोई बताये तो मुझे इश्क ने सजा क्यूँ दी ।
जब भी सजदा किया खुदा का सनम याद आया ,
दवा करने गये थे और गम बढ़ा क्यूँ दी ।
दिल को कहते हैं सब दिल तो खुदा का घर है ,
मेरे खुदा ने घर में रह के घर जला क्यूँ दी ।
बहुत ही दर्द है दिल में मेरे सुनता क्यूँ नही ,
मैंने माँगा तो न था इश्क बे - वजह क्यूँ दी ।
कोई बताये तो मुझे इश्क ने सजा क्यूँ दी ।
जब भी सजदा किया खुदा का सनम याद आया ,
दवा करने गये थे और गम बढ़ा क्यूँ दी ।
दिल को कहते हैं सब दिल तो खुदा का घर है ,
मेरे खुदा ने घर में रह के घर जला क्यूँ दी ।
बहुत ही दर्द है दिल में मेरे सुनता क्यूँ नही ,
मैंने माँगा तो न था इश्क बे - वजह क्यूँ दी ।
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