Friday, September 27, 2013

सच भी रोता है

जो कुछ ना सोचा हो वो ही क्यूँ होता है ।
देख के ऐसी हालत कितना दुःख होता है ।

दिल के बदले दिल देने में डरते हैं सब ,
प्यार कोई करता है कोई धोखा देता है ।

हम भी सिख गये हैं दुनियादारी यारों ,
याद नही पर हमने ये गुण कब सिखा है ।

हम भी झूठे तुम भी झूठे ,झूठी दुनियां ,
देखें मक्कारी में आगे क्या होता है ।

बदल - बदल की आड़ में कितना बदल गये हम ,
शरम गई जब आँख की आगे क्या रखा है ।

हम भी मुजरिम तुम भी मुजरिम सच के आगे ,
देख हमारी हालत को सच भी रोता है । 

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