बदलाव क्यूँ नही आती ,,बदलाव क्यूँ नही आती ,,
नारे रोज लगते हैं बदलाव ही नही आती ।
अगर कहने से कुछ होता तो क्या कुछ हो गया होता ,
बदलाव कही तो जाती है ,बदलाव की नही जाती ।
न हमने सोंच बदली है न हमने राह बदली है ,,
नसीहत दे तो आते हैं नसीहत ली नही जाती ।
बदलता वक्त का पहिया अपने चाल को हर दिन ,
मगर आदत है की इंसान की बदली नही जाती ।
नारे रोज लगते हैं बदलाव ही नही आती ।
अगर कहने से कुछ होता तो क्या कुछ हो गया होता ,
बदलाव कही तो जाती है ,बदलाव की नही जाती ।
न हमने सोंच बदली है न हमने राह बदली है ,,
नसीहत दे तो आते हैं नसीहत ली नही जाती ।
बदलता वक्त का पहिया अपने चाल को हर दिन ,
मगर आदत है की इंसान की बदली नही जाती ।
इंसान को अपनी आदत बदलने में बड़ा कष्ट जो होता है तभी तो वह जल्दी नहीं बदलता लेकिन समय सबको बदल देता है ...बहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
ReplyDeletebhut bhut shukriya aapka कविता रावत
ReplyDelete