गम पूछने वाले हजार लोग मिलते हैं ,
मिलता नही कहीं कोई गम बांटने वाला ।
इश्के - जहर बना के खुदा भूल ही गया ,
इक काट न बनाया , जहर काटने वाला ।
मिलता नही कहीं कोई गम बांटने वाला ।
इश्के - जहर बना के खुदा भूल ही गया ,
इक काट न बनाया , जहर काटने वाला ।
चाह क्या बात है ...
ReplyDeletewah wah
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार दिगम्बर नासवा जी और नेहा जी
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