मुझसे भला ये कैसी दुश्मनी निभा रहा ,,
तेरे सामने वजूद क्या तेरे बीमार का ।
घुट - घुट के तेरी याद में मरने से भला है ,
इक बार में ही मार दे फिर चाहे जहाँ जा ।
तेरे सामने वजूद क्या तेरे बीमार का ।
घुट - घुट के तेरी याद में मरने से भला है ,
इक बार में ही मार दे फिर चाहे जहाँ जा ।
No comments:
Post a Comment