ढपोरशंख की डफली लेकर , वादों का दम भरते नेता ।
जनता की झोली के धन से , अपनी झोली भरते नेता ।
भ्रष्टाचार की कालिख लेकर , खेला करते रोज ही होली ,
भारत माँ की मैली चादर ,और भी मैली करते नेता ।
जनता की झोली के धन से , अपनी झोली भरते नेता ।
भ्रष्टाचार की कालिख लेकर , खेला करते रोज ही होली ,
भारत माँ की मैली चादर ,और भी मैली करते नेता ।
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