ये दिल है मेरी जान किराये का घर नही ,
कि जब चाहो रहो और जब चाहोगे चल दो ।
रातों को जाग - जाग के सजाये हैं सपने ,
मोती हैं ये अरमां के न कदमों से कुचल दो ।
खिलता बड़ी मुश्किल से है काँटों में इक गुलाब ,
आहिस्ते से थामों यूँ न हाथों से मसल दो ।
न आओ गली मेरी तो कोई बात नही है ,
पर रस्ते में मिल जाएँ तो नजरे न बदल लो ।
कितनी सफाई दोगे और बेगुनाही के ,
अच्छा है की चुपचाप मेरे दिल से निकल लो ।
कि जब चाहो रहो और जब चाहोगे चल दो ।
रातों को जाग - जाग के सजाये हैं सपने ,
मोती हैं ये अरमां के न कदमों से कुचल दो ।
खिलता बड़ी मुश्किल से है काँटों में इक गुलाब ,
आहिस्ते से थामों यूँ न हाथों से मसल दो ।
न आओ गली मेरी तो कोई बात नही है ,
पर रस्ते में मिल जाएँ तो नजरे न बदल लो ।
कितनी सफाई दोगे और बेगुनाही के ,
अच्छा है की चुपचाप मेरे दिल से निकल लो ।
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