कोई इश्क का क्या गुमां करे ।
दिन रात दिल जो जला करे ।
जल - जलके राख भी ना हुए ,
बस आग उठे धुआँ करे ।
हर ओर पहरा है इश्क का ,
कोई किस तरह से बचा करे ।
दुश्मन को भी न ये रोग हो ,
दिन रात दिल ये दुआ करे ।
न जाने कब वो सुने मेरी ,
गमे - इश्क दिल से जुदा करे ।
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