दीदार को उनके निगाह बे -करार थी ,
हद न रही दिल को उनके इन्तजार की ।
जाने कितनी बार टूटी नींद खुली आँख ,
इश्क जैसे रात - भर सर पे सवार थी ।
हद न रही दिल को उनके इन्तजार की ।
जाने कितनी बार टूटी नींद खुली आँख ,
इश्क जैसे रात - भर सर पे सवार थी ।
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