ढूंढता है अब भी दिल ,
उसका ही साया किसलिए ।
वो भी तो समझे नही ,
मुझको पराया किसलिए ।
अहमियत देनी न थी जब ,
दुनियां में दिल की खुदा ,
बेवजह ही नासमझ सा ,
दिल बनाया किसलिए ।
मैं नही जाता बुलाने से भी ,
उसके पास जब ,
आता है वो याद बनके ,
बिन बुलाया किसलिए ।
दिल बड़ा नादान है ,
समझा न धोखेबाज को ,
मैं भला नादान की ,
बातों में आया किसलिए ।
उसका ही साया किसलिए ।
वो भी तो समझे नही ,
मुझको पराया किसलिए ।
अहमियत देनी न थी जब ,
दुनियां में दिल की खुदा ,
बेवजह ही नासमझ सा ,
दिल बनाया किसलिए ।
मैं नही जाता बुलाने से भी ,
उसके पास जब ,
आता है वो याद बनके ,
बिन बुलाया किसलिए ।
दिल बड़ा नादान है ,
समझा न धोखेबाज को ,
मैं भला नादान की ,
बातों में आया किसलिए ।
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