कुछ बात बांकी रह गई ,
कुछ दर्द कहना रह गया ।
मेरे हिस्से में तो बस ,
तेरा गम ही सहना रह गया ।
जिन्दगी है इक नदी ,
इस पार मैं , उस पार तुम ,
दो पाट में हम बंट गये ,
इक साथ बहना रह गया ।
उम्रभर क्या- क्या बने ,
इसका बने , उसका बने ,
आदमी ही रह गये ,
इंसान बनना रह गया ।
कुछ दर्द कहना रह गया ।
मेरे हिस्से में तो बस ,
तेरा गम ही सहना रह गया ।
जिन्दगी है इक नदी ,
इस पार मैं , उस पार तुम ,
दो पाट में हम बंट गये ,
इक साथ बहना रह गया ।
उम्रभर क्या- क्या बने ,
इसका बने , उसका बने ,
आदमी ही रह गये ,
इंसान बनना रह गया ।
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