Sunday, June 2, 2013

मेरे हाथ में कुछ भी नही गम के सिवा मैं क्या करूं

ये बात भी क्या बात है ये भी तमाशा खूब है ।
वो जो और की बाँहों में है वो ही मेरा महबूब है ।

न चैन है न करार है बस गम है और जूनून है ।
ढूंढा बहुत मिलता नही जाने कहाँ  सुकून है ।

मुझे छोड़ दो मेरे हाल पर मुझे दर्द होता है तो हो ,
गम है तो है इस बात का मुंह मोडकर वो गया तो क्यों ।

सबके लिए जो खेल है वो रोग कैसे हो गया ,
मुझे जान से प्यारा था जो वो ही खिलौना खो गया ।

क्या बताऊं हाल मैं अब किस तरह हालात हैं  ,
सुलगे हुए अरमान हैं बिखरे हुए जज्बात हैं ।

अब क्या करूं शिकवा गिला जो होना था वो हो गया ,
लौटा भी दे मौला मेरे मेरा नींद चैन कहीं खो गया ।

उसको भी गम मुझको भी गम हालात का सब दोष है ,
वो भी उधर दीवाना सा हम भी इधर मदहोश हैं ।

उसको सुकून अदा करो मौला मैं तुझसे दुआ करूँ ,
मेरे हाथ में कुछ भी नही गम के सिवा मैं क्या करूं । 

No comments:

Post a Comment