घाटे में रह गये हम हर बार की तरह ,
बस प्यार ही देते रहें चाहत में प्यार के ।
ये जज्बात हैं मेरे ,न हैं गजल या कहानी ,
ये वो दर्द है , गुजरे हैं जिसमे दिन गुजार के ।
रुसवाई है तन्हाई है , जख्मों का जहर है ,
ये रंजिश नही किसी की , ये तोहफे हैं यार के ।
बस प्यार ही देते रहें चाहत में प्यार के ।
ये जज्बात हैं मेरे ,न हैं गजल या कहानी ,
ये वो दर्द है , गुजरे हैं जिसमे दिन गुजार के ।
रुसवाई है तन्हाई है , जख्मों का जहर है ,
ये रंजिश नही किसी की , ये तोहफे हैं यार के ।
waaaaah
ReplyDeleteये जज्बात हैं मेरे ,न हैं गजल या कहानी ,
ReplyDeleteये वो दर्द है , गुजरे हैं जिसमे दिन गुजार के ।------
जीवन का सच है दर्द तो घूंट घूंट पीना ही पड़ता है
सुंदर अनुभूति
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों