मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
जितना बोले समझो कम हैं ।
बेचैनी का आलम ये है ,
बिन पाए खोने का गम है ।
आगे कुआँ पीछे खाई ,
कोई युक्ति काम न आई ,
चलने को बेताब कदम हैं ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
सामने हैं आँखों के सपना ,
कुछ पल में हो जाता अपना ,
पर पैसे कुछ जेब में कम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
उनको दिल की बात बताई ,
सोचा होगी पास दवाई ,
वो बोले , उनको भी गम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
चाय में चीनी कम पडती है ,
झिक -झिक रोज हुआ करती है ,
महंगाई का ये मातम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
जितना बोले समझो कम हैं ।
बेचैनी का आलम ये है ,
बिन पाए खोने का गम है ।
आगे कुआँ पीछे खाई ,
कोई युक्ति काम न आई ,
चलने को बेताब कदम हैं ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
सामने हैं आँखों के सपना ,
कुछ पल में हो जाता अपना ,
पर पैसे कुछ जेब में कम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
उनको दिल की बात बताई ,
सोचा होगी पास दवाई ,
वो बोले , उनको भी गम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
चाय में चीनी कम पडती है ,
झिक -झिक रोज हुआ करती है ,
महंगाई का ये मातम है ।
मत पूछो किस हाल में हम हैं ।
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