खुदा कुछ ऐसा कर की , वक्ती मंसूबा बदल जाए ,
मैं खोटा हूँ, मगर तू चाहे तो , खोटा भी चल जाये ।
सदा ठोकर खिलाकर ही , हमें क्यूँ सीख देते हो ,
गिरा के ओरों को दे सीख , हम देखें सम्भल जायें ।
माना बेवफाई में , जलन होती जियादा है ,
पर मेरा दिल जला ऐसे , दिल के गम भी जल जाये ।
बड़ी नादान है नियत , खिलाफत तुझसे करती है ,
सलीका दे इबादत का , खुराफातें निकल जाये ।
कबसे ताक में बैठा है , तेरे दीदार को ये दिल ,
जमाना छोड़ दूँ , इकबार बस तू मुझको मिल जाए ।
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