मैं गैर हूँ , तुम गैर हो , ये शोर मत करो ।
मुंह मोडकर यूँ , पीठ मेरी ओर मत करो ।
दुनियां की तो आदत है , अच्छा बुरा कहना ,
सच बात सुनो , झूठ पर यूँ गौर मत करो ।
शोहबत खराब है , शराब की शबाब की ,
उनकी गली में जाके अपना ठौर मत करो ।
जाना कहाँ हैं सोंचलो , फिर रास्ता चुनो ,
नफरत की आग में ,ये अंधी दौड़ मत करो ।
बे - सबब जलने से , कुछ भी नही हासिल ,
खुशियों को ठुकराके गम से होड़ मत करो ।
मुंह मोडकर यूँ , पीठ मेरी ओर मत करो ।
दुनियां की तो आदत है , अच्छा बुरा कहना ,
सच बात सुनो , झूठ पर यूँ गौर मत करो ।
शोहबत खराब है , शराब की शबाब की ,
उनकी गली में जाके अपना ठौर मत करो ।
जाना कहाँ हैं सोंचलो , फिर रास्ता चुनो ,
नफरत की आग में ,ये अंधी दौड़ मत करो ।
बे - सबब जलने से , कुछ भी नही हासिल ,
खुशियों को ठुकराके गम से होड़ मत करो ।
No comments:
Post a Comment