ये कैसी दोस्ती है , जिसमें दोनों व्यस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।
मिलते हैं तो कहते हैं की मिलते नही हो क्यूँ ,
बहाने बनाने में तो , दोनों अभ्यस्त हैं ।
पूछने से पहले ही , हो जाते हैं शुरू ,
उलझे हुए जीवन से आज , कितने त्रस्त हैं ।
न वक्त है , न मौक़ा है , न दिल की आरजू ,
वो भी अपने में मस्त है , हम भी अपने में मस्त है ।
न उनको कोई दर्द है , न हमारे दिल में खार ,
न ये उनकी शिकस्त है , न हमारी शिकस्त है ।
ये कैसी दोस्ती है , जिसमें दोनों व्यस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।
मिलते हैं तो कहते हैं की मिलते नही हो क्यूँ ,
बहाने बनाने में तो , दोनों अभ्यस्त हैं ।
पूछने से पहले ही , हो जाते हैं शुरू ,
उलझे हुए जीवन से आज , कितने त्रस्त हैं ।
न वक्त है , न मौक़ा है , न दिल की आरजू ,
वो भी अपने में मस्त है , हम भी अपने में मस्त है ।
न उनको कोई दर्द है , न हमारे दिल में खार ,
न ये उनकी शिकस्त है , न हमारी शिकस्त है ।
ये कैसी दोस्ती है , जिसमें दोनों व्यस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।
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