Thursday, April 25, 2013

ताज्जुब की बात है

तेरे लब पे मेरी बात है , ताज्जुब की बात है ।
ये कैसी करामात है , ताज्जुब की बात है ।

कहते हैं सब तू तकता है अब भी मेरा रस्ता ,
पर रस्ते में न साथ है , ताज्जुब की बात है ।

वादा था तेरा मुझको कभी गम नही होगा ,
गम ही दिया सौगात है , ताज्जुब की बात है ।

तू बनके तो आया था हर दिन की रौशनी ,
पर खौफ की अब रात है , ताज्जुब की बात है ।

मेरा नही हुआ तो किसी का तो हो जाता ,
अजीब तेरी जात है , ताज्जुब की बात है ।

कालिख छुड़ाया करता है सीसे को पोछकर ,
सीसा तो तुझसे साफ़ है , ताज्जुब की बात है ।

सुना है अब भी बांटता है गम तू सभी को ,
खुशियों के भी खिलाफ है , ताज्जुब की बात है ।

रो-रो के दिया करता है तू अपनी सफाई ,
नियत में फिर भी पाप है , ताज्जुब की बात है ।

तू बेवजह मढ़ता रहा है दोष सभी पे   ,
और अपना दोषी आप है ,ताज्जुब की बात है । 

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