Thursday, March 21, 2013

शायरी

चांदनी रात में जलना ही मुकद्दर है मेरी ।
                   न जाने कितनी बेकरारी अंदर है मेरी ।

मेरी कहानी इतनी सी है हमदम मेरे ,
                   प्यासे बैठे हैं, आँखों में समन्दर है मेरी । 

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