पूछा गया जब उनसे सच हालात के ऊपर ,
परदा वो डालते मिले हर बात के ऊपर ।
मसला हो जब आवाम का निकले कहाँ से हल ,
हंगामा बड़ा बरपा आधी रात के ऊपर ।
वो क्यूँ नही खुशहाली चाहते हैं देश की ,,
उतरते नही खड़े क्यूँ अपनी बात के ऊपर ।
दिखाती नही गरीबी बेबसी गरीब की ,
एनक लगा हुआ है सबकी आँख के ऊपर ।
चुनाव आने को है फिर निकले रंगे सियार ,
गाते हैं गीत अपने करामात के ऊपर ,
जनता है फिर उलझन में मुहर किस पे लगाये ,
बुडे हालात के उपर या उनके हाथ के ऊपर ।
परदा वो डालते मिले हर बात के ऊपर ।
मसला हो जब आवाम का निकले कहाँ से हल ,
हंगामा बड़ा बरपा आधी रात के ऊपर ।
वो क्यूँ नही खुशहाली चाहते हैं देश की ,,
उतरते नही खड़े क्यूँ अपनी बात के ऊपर ।
दिखाती नही गरीबी बेबसी गरीब की ,
एनक लगा हुआ है सबकी आँख के ऊपर ।
चुनाव आने को है फिर निकले रंगे सियार ,
गाते हैं गीत अपने करामात के ऊपर ,
जनता है फिर उलझन में मुहर किस पे लगाये ,
बुडे हालात के उपर या उनके हाथ के ऊपर ।
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