मत पूछिये क्या हाल है हिन्दुस्तान का ,
आसूं तो है आँखों में पर रोया नही जाता ।
इतने जख्म हुए हैं दवा काम न आये ,
इतने लहू बहे हैं की धोया नही जाता ।
रो - रो के भारती पुकारती है बार - बार ,
कपूत भी हो पूत पर खोया नही जाता ।
आसूं तो है आँखों में पर रोया नही जाता ।
इतने जख्म हुए हैं दवा काम न आये ,
इतने लहू बहे हैं की धोया नही जाता ।
रो - रो के भारती पुकारती है बार - बार ,
कपूत भी हो पूत पर खोया नही जाता ।
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