बिखरे हुए अरमानों के एहसास में जलूं ।
या वक्त बदलने के विश्वास में चलूं ।
रुक के ठहर के बिन लूँ टूटे हुए सपने ,
या फिर से नये खाब की तलाश में चलूं ।
या वक्त बदलने के विश्वास में चलूं ।
रुक के ठहर के बिन लूँ टूटे हुए सपने ,
या फिर से नये खाब की तलाश में चलूं ।
बहुत खूब आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
ReplyDeleteतुम मुझ पर ऐतबार करो ।
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteआपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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