कितना बुरा लगता है जब ,
जिद करते हो और लड़ते हो ।
फिर कितना अच्छा लगता है ,
जब प्यार से गुडिया कहते हो ।
इक चिढ़ता एक चिढाता है ,
इक रूठे दूजा मनाता है ।
है गुड्डा गुडिया खेल सही ,
पर दिल को कितना भाता है ।
हर रोज लड़ाई होती है ,
तकरार प्यार में चलता है ।
तभी कहते है , जीने का मजा ,
दोस्तों के संग ही मिलता है ।
जिद करते हो और लड़ते हो ।
फिर कितना अच्छा लगता है ,
जब प्यार से गुडिया कहते हो ।
इक चिढ़ता एक चिढाता है ,
इक रूठे दूजा मनाता है ।
है गुड्डा गुडिया खेल सही ,
पर दिल को कितना भाता है ।
हर रोज लड़ाई होती है ,
तकरार प्यार में चलता है ।
तभी कहते है , जीने का मजा ,
दोस्तों के संग ही मिलता है ।
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