लोग हकीकत को फसाने में बदल देते हैं ।
तोड़ के जनमों के वादों को भी चल देते हैं ।
कितनी हसरत से सजाता है कोई दिल का जहाँ ,
कोई पल में उजाड़ दिल को निकल लेते हैं ।
फूल डाली पे ही कितना हसीन लगता है ,
खामखाह तोड़ के उसको क्यूँ मसल देते है ।
मसला गहरा है सोंचते हैं उनसे पूछेंगे ,
बड़े शातिर हैं वो बातों को बदल देते हैं ।
वो खामोश है उनको भी मुहब्बत है हुई ,
झूठे भरम में अपने दिल को भी छल लेते हैं ।
कितनी हालत बुरी है देश की कहना मुश्किल ,
और वो कहते हैं की विकास पे बल देते हैं ।
लोग रोते तो दिखते हैं हर चौराहे पे ,
रात ढलते ही आंसूं पोछ के चल देते हैं ।
तोड़ के जनमों के वादों को भी चल देते हैं ।
कितनी हसरत से सजाता है कोई दिल का जहाँ ,
कोई पल में उजाड़ दिल को निकल लेते हैं ।
फूल डाली पे ही कितना हसीन लगता है ,
खामखाह तोड़ के उसको क्यूँ मसल देते है ।
मसला गहरा है सोंचते हैं उनसे पूछेंगे ,
बड़े शातिर हैं वो बातों को बदल देते हैं ।
वो खामोश है उनको भी मुहब्बत है हुई ,
झूठे भरम में अपने दिल को भी छल लेते हैं ।
कितनी हालत बुरी है देश की कहना मुश्किल ,
और वो कहते हैं की विकास पे बल देते हैं ।
लोग रोते तो दिखते हैं हर चौराहे पे ,
रात ढलते ही आंसूं पोछ के चल देते हैं ।
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