रूठ जाने की आदत बुरी तो नही ,
पर रूठे जो वो जान जाने लगी ।
दिल धड़कने लगा साँस चढ़ने लगी ,
याद रह - रह के उनकी सताने लगी ।
मेरी हालत पे आता था उनको मजा ,
उनकी ये बेरुखी दिल जलाने लगी ।
आँखे बरसी यूँ जैसे की बरसात हो ,
बेखुदी धडकनों पे यूँ छाने लगी ।
हारकर अपने दिल से दिल के लिए ,
मैं अपने पिया को मनाने लगी ।
पर रूठे जो वो जान जाने लगी ।
दिल धड़कने लगा साँस चढ़ने लगी ,
याद रह - रह के उनकी सताने लगी ।
मेरी हालत पे आता था उनको मजा ,
उनकी ये बेरुखी दिल जलाने लगी ।
आँखे बरसी यूँ जैसे की बरसात हो ,
बेखुदी धडकनों पे यूँ छाने लगी ।
हारकर अपने दिल से दिल के लिए ,
मैं अपने पिया को मनाने लगी ।
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