हर बार जब तूफ़ान घर उजाड़ कर गया ।
मैंने जहाँ बसा लिया पहले से भी नया ।
टूटी मेरी कस्ती मगर , टूटा न हौसला ,
मैं हार जब न मानी तूफां , हार कर गया ।
जाते हुए कहने लगा , कुछ बात है तुझमे ,
हर बार मेरा वार तू , बेकार कर गया ।
ठोकर लगाई इतनी , तुझे तोड़ न पायें ,
ले जाते - जाते हार मैं , स्वीकार कर गया ।
मैं बोली , कहा किसने , की दुश्मन हो तुम मेरे ,
ऐ दोस्त तू तो मुझपे कई , उपकार कर गया ।
पता बता गया तू मुझको , मेरे हुनर का ,
उजाड़ने आया था पर , संवार कर गया ।
कहने लगा तेरी यही , 'अदा ' पसंद है ,
ले दर पे तेरे दिल भी अपना , हार कर गया ।
तूफ़ान ने भले ही , बिगाड़ा था बहुत कुछ ,
लेकिन वो जाते -जाते फिर , बहार कर गया ।
मैंने जहाँ बसा लिया पहले से भी नया ।
टूटी मेरी कस्ती मगर , टूटा न हौसला ,
मैं हार जब न मानी तूफां , हार कर गया ।
जाते हुए कहने लगा , कुछ बात है तुझमे ,
हर बार मेरा वार तू , बेकार कर गया ।
ठोकर लगाई इतनी , तुझे तोड़ न पायें ,
ले जाते - जाते हार मैं , स्वीकार कर गया ।
मैं बोली , कहा किसने , की दुश्मन हो तुम मेरे ,
ऐ दोस्त तू तो मुझपे कई , उपकार कर गया ।
पता बता गया तू मुझको , मेरे हुनर का ,
उजाड़ने आया था पर , संवार कर गया ।
कहने लगा तेरी यही , 'अदा ' पसंद है ,
ले दर पे तेरे दिल भी अपना , हार कर गया ।
तूफ़ान ने भले ही , बिगाड़ा था बहुत कुछ ,
लेकिन वो जाते -जाते फिर , बहार कर गया ।
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