हवा से लड के सम्भलने का हुनर सीखते हैं ।
दीये ' से पूछिये जो जलने का हुनर सीखते हैं ।
एक ही बार में दौड़ेंगे तो गिर जायेंगे ,
बड़े आहिस्ते हम चलने का हुनर सीखते हैं ।
कैसे चुपचाप भला करके चले जाते हैं ,
ढलते सूरज से यूँ ढलने का हुनर सीखते हैं ।
अभी - अभी वो उतर के गयें हैं दिल से मेरे ,
अब उनके सपनों से निकलने का हुनर सीखते हैं ।
दीये ' से पूछिये जो जलने का हुनर सीखते हैं ।
एक ही बार में दौड़ेंगे तो गिर जायेंगे ,
बड़े आहिस्ते हम चलने का हुनर सीखते हैं ।
कैसे चुपचाप भला करके चले जाते हैं ,
ढलते सूरज से यूँ ढलने का हुनर सीखते हैं ।
अभी - अभी वो उतर के गयें हैं दिल से मेरे ,
अब उनके सपनों से निकलने का हुनर सीखते हैं ।
No comments:
Post a Comment