मै वो बला हूँ , जिससे पार पा न सकेगा ।
मै वो अदा हूँ , जिसके पार जा न सकेगा ।
तू कह तो तेरी सोंच के , परतों को खोल दूँ ,
उलझाऊंगी ऐसे की , पार आ न सकेगा ।
वो आग हूँ , जो दूर से भी देती है जलन ,
वो पानी हूँ , जिससे जलन बुझा न सकेगा ।
तुझको बड़ा गुरुर है , अपने वजूद पर ,
मेरी शख्सियत के पास भी ,तू आ न सकेगा।
हर खेल से वाकिफ हूँ मै , माहिर हूँ खिलाडी ,
खेलूं अगर जो तुझसे , तू हरा न सकेगा ।
किस्मत की दौड़ में भी , आगे हूँ मै तुझसे ,
तू दौड़ेगा कितना भी , पास आ न सकेगा ।
मै वो दवा रखती हूँ , जो भरते हैं जख्म को ,
मै वो जख्म भी देती हूँ , जो मिटा न सकेगा ।
मै साथ दूँ तो तू ही , बन जायेगा खुदा ,
मै तोड़ दूँ तो खुद को भी , तू पा न सकेगा ।
कभी सोंच तुझपे मैंने , किये कितने करम हैं ,
इस जिन्दगी भी कर्ज़ तू , चूका न सकेगा ।
तुझको नही पता , मेरे हुनर की हकीकत ,
मेरे कूंचे से भी निकल के , कहीं जा न सकेगा ।
कुछ और देर रुक , देख होगा तमाशा ,
वादा है तू तमाशा ये , भुला न सकेगा ।