मुहब्बत में झूठ बोलना , अच्छा नही होता ,
सबसे राजे-दिल खोलना , अच्छा नही होता ।
नादान हैं वो , अबतलक समझे ही नही है ,
दिलबर के दिल से खेलना,अच्छा नही होता ।
उनको नही पता अभी , होता है दिल अनमोल ,
भड़े बाजार दिल को मोलना ,अच्छा नही होता ।
माना की उनके संग अब ,चलना नही मुमकिन ,
पर गैरों के संग डोलना , अच्छा नही होता ।
हर रोज प्यार द्वार पे , दस्तक नही देता ,
जब आये तो मुंह फेरना , अच्छा नही होता ।
माँगा खुदा से दिल ने , अब राहत नसीब हो ,
इतना भी तो गम झेलना , अच्छा नही होता ।
सबसे राजे-दिल खोलना , अच्छा नही होता ।
नादान हैं वो , अबतलक समझे ही नही है ,
दिलबर के दिल से खेलना,अच्छा नही होता ।
उनको नही पता अभी , होता है दिल अनमोल ,
भड़े बाजार दिल को मोलना ,अच्छा नही होता ।
माना की उनके संग अब ,चलना नही मुमकिन ,
पर गैरों के संग डोलना , अच्छा नही होता ।
हर रोज प्यार द्वार पे , दस्तक नही देता ,
जब आये तो मुंह फेरना , अच्छा नही होता ।
माँगा खुदा से दिल ने , अब राहत नसीब हो ,
इतना भी तो गम झेलना , अच्छा नही होता ।
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