Sunday, December 2, 2012

तुम कहाँ थे

कितनी तन्हा हो गई थी , तुम कहाँ थे ।
आँखें  मेरी  रो  रही  थी  ,  तुम कहाँ थे ।

दिन गुजारा ,बस तुम्हे ही याद कर के ,
राह तक के सो गई थी  , तुम कहाँ थे ।

सारी  दुनियां साथ थी , बस दूर थे तुम ,
मेरी खुशियाँ खो गई थी , तुम कहाँ थे ।

पूछो मत की  ,  काटे कैसे वक्त मैंने ,
चैन जैसे खो गई थी  , तुम कहाँ थे ।

मेरे जिम्मे छोड़ के सब चल दिए तुम ,
प्यार तन्हा ढो रही थी  , तुम कहाँ थे ।

तुम बरसते थे न , बनके मन पे बादल ,
फिर भी अरमां बो रही थी ,तुम कहाँ थे ।

दुनियां को कैसे दिखाती  ,  दाग दिल के ,
छुप के उनको धो रही थी , तुम कहाँ थे ।

 कितनी तन्हा हो गई थी , तुम कहाँ थे ।
आँखें  मेरी  रो  रही  थी  ,  तुम कहाँ थे ।



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