कितनी तन्हा हो गई थी , तुम कहाँ थे ।
आँखें मेरी रो रही थी , तुम कहाँ थे ।
दिन गुजारा ,बस तुम्हे ही याद कर के ,
राह तक के सो गई थी , तुम कहाँ थे ।
सारी दुनियां साथ थी , बस दूर थे तुम ,
मेरी खुशियाँ खो गई थी , तुम कहाँ थे ।
पूछो मत की , काटे कैसे वक्त मैंने ,
चैन जैसे खो गई थी , तुम कहाँ थे ।
मेरे जिम्मे छोड़ के सब चल दिए तुम ,
प्यार तन्हा ढो रही थी , तुम कहाँ थे ।
तुम बरसते थे न , बनके मन पे बादल ,
फिर भी अरमां बो रही थी ,तुम कहाँ थे ।
दुनियां को कैसे दिखाती , दाग दिल के ,
छुप के उनको धो रही थी , तुम कहाँ थे ।
कितनी तन्हा हो गई थी , तुम कहाँ थे ।
आँखें मेरी रो रही थी , तुम कहाँ थे ।
आँखें मेरी रो रही थी , तुम कहाँ थे ।
दिन गुजारा ,बस तुम्हे ही याद कर के ,
राह तक के सो गई थी , तुम कहाँ थे ।
सारी दुनियां साथ थी , बस दूर थे तुम ,
मेरी खुशियाँ खो गई थी , तुम कहाँ थे ।
पूछो मत की , काटे कैसे वक्त मैंने ,
चैन जैसे खो गई थी , तुम कहाँ थे ।
मेरे जिम्मे छोड़ के सब चल दिए तुम ,
प्यार तन्हा ढो रही थी , तुम कहाँ थे ।
तुम बरसते थे न , बनके मन पे बादल ,
फिर भी अरमां बो रही थी ,तुम कहाँ थे ।
दुनियां को कैसे दिखाती , दाग दिल के ,
छुप के उनको धो रही थी , तुम कहाँ थे ।
कितनी तन्हा हो गई थी , तुम कहाँ थे ।
आँखें मेरी रो रही थी , तुम कहाँ थे ।
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