वो प्यार ही क्या जो रुलाया नही ,
वो दर्द ही क्या जो तडपाया नही ।
वो धडकन ही क्या जिसको कभी ,
सांसों ने धुन पे नचाया नहीं ।
वो आँख ही क्या जिसमें कभी ,
खाब किसी का , आया नही ।
वो इन्सान ही क्या जिसने कभी ,
है दिल किसी से लगाया नही ।
वो तुम ही क्या जिसने हंसके ,
वफाओं को ठोकर लगाया नही ।
वो हम ही क्या जिसने तेरे लिए ,
हर गम ख़ुशी से उठाया नही ।
वो दर्द ही क्या जो तडपाया नही ।
वो धडकन ही क्या जिसको कभी ,
सांसों ने धुन पे नचाया नहीं ।
वो आँख ही क्या जिसमें कभी ,
खाब किसी का , आया नही ।
वो इन्सान ही क्या जिसने कभी ,
है दिल किसी से लगाया नही ।
वो तुम ही क्या जिसने हंसके ,
वफाओं को ठोकर लगाया नही ।
वो हम ही क्या जिसने तेरे लिए ,
हर गम ख़ुशी से उठाया नही ।
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