गुमसुम रहूँ तो , हंसाते हैं पहले ,
हंसू जो तो कहते हैं , हंसती हो ज्यादा ।
गुस्सा दिलाते हैं , नादानी करके ,
फिर ये गिला की , बरसती हो ज्यादा ।
नाराजगी में , मनाते तो है पर ,
शिकायत ये भी की , अकड़ती हो ज्यादा ।
नही छोड़ते हैं , सताने की आदत ,
लडूं जो तो , कहते हैं लडती हो ज्यादा ।
मैं कह दूँ अगर की , मुहब्बत नही है ,
कहेंगे हसीं पे , बिगडती हो ज्यादा ।
वफाओं में उनकी , बनावट नही है ,
इसी बात से , उनपे मरती हूँ ज्यादा ।
हंसू जो तो कहते हैं , हंसती हो ज्यादा ।
गुस्सा दिलाते हैं , नादानी करके ,
फिर ये गिला की , बरसती हो ज्यादा ।
नाराजगी में , मनाते तो है पर ,
शिकायत ये भी की , अकड़ती हो ज्यादा ।
नही छोड़ते हैं , सताने की आदत ,
लडूं जो तो , कहते हैं लडती हो ज्यादा ।
मैं कह दूँ अगर की , मुहब्बत नही है ,
कहेंगे हसीं पे , बिगडती हो ज्यादा ।
वफाओं में उनकी , बनावट नही है ,
इसी बात से , उनपे मरती हूँ ज्यादा ।
वाह क्या बात है लाजवाब प्रस्तुति बहुत खूब
ReplyDeleteshukriya Arun shrma ji
ReplyDelete