कई दिनों के बाद,
उसने खिड़कियाँ खोली ,
अनमनी आँखों से ,
देखते हुए बोली ,
तुम कौन हो ?
क्या तुम्हे जानती हूँ मैं ?
उस दिन से हमको ये मालूम हुआ है ,
इस अजनबी शहर के लोग बोलते भी हैं ।
उसने खिड़कियाँ खोली ,
अनमनी आँखों से ,
देखते हुए बोली ,
तुम कौन हो ?
क्या तुम्हे जानती हूँ मैं ?
उस दिन से हमको ये मालूम हुआ है ,
इस अजनबी शहर के लोग बोलते भी हैं ।
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