बरबादियों के गीत अब , अच्छे नही लगते ,
कोई प्रेम गीत गा , की सुमन फिर से खिल उठे ।
अँधेरा करके तूफां ने , अच्छा नही किया ,
अब तू ही कर , अच्छा की चमन फिर से खिल उठे ।
बेचारगी ने , पानी बना डाला खून को ,
जला तू आग , दिल में अगन फिर से खिल उठे ।
नजरे जमाये बैठा है , इतिहास आज पे ,
बदलाव ला , उदास नयन फिर से खिल उठे ।
सो गई दिलों में , देश - प्रेम दोस्तों ,
लगायें वो लगी , की लगन फिर से खिल उठे ।
कोई तो स्वार्थ भूल के , आगे को आएगा ,
लानी है वो ख़ुशी , की चमन फिर से खिल उठे ।
कोई प्रेम गीत गा , की सुमन फिर से खिल उठे ।
अँधेरा करके तूफां ने , अच्छा नही किया ,
अब तू ही कर , अच्छा की चमन फिर से खिल उठे ।
बेचारगी ने , पानी बना डाला खून को ,
जला तू आग , दिल में अगन फिर से खिल उठे ।
नजरे जमाये बैठा है , इतिहास आज पे ,
बदलाव ला , उदास नयन फिर से खिल उठे ।
सो गई दिलों में , देश - प्रेम दोस्तों ,
लगायें वो लगी , की लगन फिर से खिल उठे ।
कोई तो स्वार्थ भूल के , आगे को आएगा ,
लानी है वो ख़ुशी , की चमन फिर से खिल उठे ।
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