मुहब्बत भले खेल हो आपका पर ,
वफाओं को मेरी दिलासा न कहिये ।
अपने लिए आप जो सोंचते हो ,
मेरे प्यार को तो तमाशा न कहिये ।
रुलाया बहुत आपने दर्द देकर ,
मेरे हाल को अब हताशा न कहिये ।
मुझे है यकीन रंग लाएगी कोशिश ,
मेरी चाह को झूठी आशा न कहिये ।
हमारी तरह फिर मरेगा न कोई ,
समन्दर सा दिल है ,जरा सा न कहिये ।
वफाओं को मेरी दिलासा न कहिये ।
अपने लिए आप जो सोंचते हो ,
मेरे प्यार को तो तमाशा न कहिये ।
रुलाया बहुत आपने दर्द देकर ,
मेरे हाल को अब हताशा न कहिये ।
मुझे है यकीन रंग लाएगी कोशिश ,
मेरी चाह को झूठी आशा न कहिये ।
हमारी तरह फिर मरेगा न कोई ,
समन्दर सा दिल है ,जरा सा न कहिये ।
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