ये तेरी मुहब्बत है या दीवानगी मेरी ,
जन्नत तेरे आगे सनम बेनूर लगता है ।
मुझसे दूर होके भी मेरी धडकन में बसते हो,
जहाँ ये पास रहता है फिर भी दूर लगता है ।
तेरे एहसास की खुशियाँ कभी भी कम नही होती ,
मेरी चाहत के आगे गम बहुत मजबूर लगता है ।
समझती है मुझे दुनियां मैं तेरे प्यार में पागल ,
मुझे तो ये तुम्हारे प्यार का सुरूर लगता है ।
माना दर्द तुझको भी है माना दर्द मुझको भी ,
मगर सहलो इसी से तो वफा में नूर लगता है ।
सितम इतने किये फिर भी उनको चैन न आया ,
इम्तहां और शायद वक्त को मंजूर लगता है ।
जन्नत तेरे आगे सनम बेनूर लगता है ।
मुझसे दूर होके भी मेरी धडकन में बसते हो,
जहाँ ये पास रहता है फिर भी दूर लगता है ।
तेरे एहसास की खुशियाँ कभी भी कम नही होती ,
मेरी चाहत के आगे गम बहुत मजबूर लगता है ।
समझती है मुझे दुनियां मैं तेरे प्यार में पागल ,
मुझे तो ये तुम्हारे प्यार का सुरूर लगता है ।
माना दर्द तुझको भी है माना दर्द मुझको भी ,
मगर सहलो इसी से तो वफा में नूर लगता है ।
सितम इतने किये फिर भी उनको चैन न आया ,
इम्तहां और शायद वक्त को मंजूर लगता है ।
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