हम रूठे तो तुमको मनाना न आया ,
दिल रखने का कोई बहाना न आया ।
ये किस बेकदर से लगा बैठे दिल हम ,
जिसे नाजे -उल्फत उठाना न आया ।
माना तुम्हे प्यार हमसे बहुत है ,
क्यूँ हाले दिल फिर बताना न आया ।
खता हो गई हमसे नाराजगी में ,
ये सच है हमे गम जताना न आया ।
मगर रुठ के हम चले जब वहाँ से ,
तुम्हे आवाज देके बुलाना न आया ।
तुम्हे क्या यकीन प्यार पे न रहा था ,
दो आंसू वफा के बहाना न आया ।
बहुत चोट तुमने लगाई जो दिल पर ,
जरा सा भी मरहम लगाना न आया ।
खता तुमने की पर सज़ा मैंने पाई ,
तुम्हे आके हमको बचाना न आया ।
समझ पाते तुम जो मेरी वफा को ,
शायद अभी वो जमाना न आया ।
दिल रखने का कोई बहाना न आया ।
ये किस बेकदर से लगा बैठे दिल हम ,
जिसे नाजे -उल्फत उठाना न आया ।
माना तुम्हे प्यार हमसे बहुत है ,
क्यूँ हाले दिल फिर बताना न आया ।
खता हो गई हमसे नाराजगी में ,
ये सच है हमे गम जताना न आया ।
मगर रुठ के हम चले जब वहाँ से ,
तुम्हे आवाज देके बुलाना न आया ।
तुम्हे क्या यकीन प्यार पे न रहा था ,
दो आंसू वफा के बहाना न आया ।
बहुत चोट तुमने लगाई जो दिल पर ,
जरा सा भी मरहम लगाना न आया ।
खता तुमने की पर सज़ा मैंने पाई ,
तुम्हे आके हमको बचाना न आया ।
समझ पाते तुम जो मेरी वफा को ,
शायद अभी वो जमाना न आया ।
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