बड़ी बेबसी है , न पूछो ये क्या है ,
सभी कह रहे हैं , मुहब्बत यही है ।
कहाँ जाएँ ,कैसे मिले चैन दिल को ,
सुनो ,एकपल को भी राहत नही है ।
न जाना न देखा , न सोंचा ये होगा ,
ये धोखा है दिल का, शिकायत यही है।
जरा देर रुकते , समझते सम्भलते ,
ये नादानियाँ है , शराफत नही है ।
लगता है , अरमां ये जीने न देगी ,
और मरने न देगी ,की आफत यही है ।
कहते हैं सब , ये है मौसम का जादू ,
हवाओं में देखो , नजाकत यही है ।
देखो जी अब , इम्तहां न लो मेरी ,
मुझे बेकरारी की , आदत नही है ।
मिटाने से भी जो , मिटा न सके हम ,
लगता है अब की , मुहब्बत वही है ।
सभी कह रहे हैं , मुहब्बत यही है ।
कहाँ जाएँ ,कैसे मिले चैन दिल को ,
सुनो ,एकपल को भी राहत नही है ।
न जाना न देखा , न सोंचा ये होगा ,
ये धोखा है दिल का, शिकायत यही है।
जरा देर रुकते , समझते सम्भलते ,
ये नादानियाँ है , शराफत नही है ।
लगता है , अरमां ये जीने न देगी ,
और मरने न देगी ,की आफत यही है ।
कहते हैं सब , ये है मौसम का जादू ,
हवाओं में देखो , नजाकत यही है ।
देखो जी अब , इम्तहां न लो मेरी ,
मुझे बेकरारी की , आदत नही है ।
मिटाने से भी जो , मिटा न सके हम ,
लगता है अब की , मुहब्बत वही है ।
No comments:
Post a Comment