अबतक हमने मुंह बंद रखा ,
कुछ कहा नही कुछ सुना नही ।
अब जोड़ से भी चिल्लाएं तो ,
वो कहते हैं ,,कुछ सुना नही ।
वो ऊँचे जाकर जो बैठे हैं ,
निचे से कहा , तो सुना नही ।
कोई तडप रहा था सडकों पे ,
वो घर में थे , कुछ सुना नही ।
कोई कई दिनों से सोया नही ,
वो सोये थे , कुछ सुना नही ।
कोई पीडा से न होश में है ,
वो मौज में हैं , कुछ सुना नही ।
अब जनता कहती है बाहर आ ,
फिर कहता हूँ , जो सुना नही ।
वो कहते हैं रहने भी दो ,
वो क्या कहना , जो सुना नही ।
सब फिर वैसा हो जायेगा ,
जैसे कहा नही, कुछ सुना नही ।
कुछ कहा नही कुछ सुना नही ।
अब जोड़ से भी चिल्लाएं तो ,
वो कहते हैं ,,कुछ सुना नही ।
वो ऊँचे जाकर जो बैठे हैं ,
निचे से कहा , तो सुना नही ।
कोई तडप रहा था सडकों पे ,
वो घर में थे , कुछ सुना नही ।
कोई कई दिनों से सोया नही ,
वो सोये थे , कुछ सुना नही ।
कोई पीडा से न होश में है ,
वो मौज में हैं , कुछ सुना नही ।
अब जनता कहती है बाहर आ ,
फिर कहता हूँ , जो सुना नही ।
वो कहते हैं रहने भी दो ,
वो क्या कहना , जो सुना नही ।
सब फिर वैसा हो जायेगा ,
जैसे कहा नही, कुछ सुना नही ।
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