दुनियां की तख्तो-ताज , मुबारक रहे तुम्हे ,
अपने लिए तो दिल की, रियासत ही बहुत है ।
हीरे - मोतियों की ख्वाहिश नही हमें ,
जीने के लिए प्यार की, आदत ही बहुत है ।
रंगीनियों में भी वो प्यार भूलते नहीं ,
प्यार पे उनकी ये , इनायत ही बहुत है ।
दुश्मन बनाने की , जरूरत नही पड़ी ,
दुश्मनी के लिए दिल की ,बगावत ही बहुत है ।
हमें इम्तहान प्यार में देना नही पड़ा ,
कहते हैं ,तेरे आंसुओं में ,ताकत ही बहुत है ।
गुस्सा बहुत आता है शैतानी पे उसकी ,
पर क्या करे उसमें , शराफत भी बहुत है ।
कैसे करे यकीन दिल , दुनिया की बात पे ,
बातों में जहाँ की , बनावट ही बहुत है ।
अपने लिए तो दिल की, रियासत ही बहुत है ।
हीरे - मोतियों की ख्वाहिश नही हमें ,
जीने के लिए प्यार की, आदत ही बहुत है ।
रंगीनियों में भी वो प्यार भूलते नहीं ,
प्यार पे उनकी ये , इनायत ही बहुत है ।
दुश्मन बनाने की , जरूरत नही पड़ी ,
दुश्मनी के लिए दिल की ,बगावत ही बहुत है ।
हमें इम्तहान प्यार में देना नही पड़ा ,
कहते हैं ,तेरे आंसुओं में ,ताकत ही बहुत है ।
गुस्सा बहुत आता है शैतानी पे उसकी ,
पर क्या करे उसमें , शराफत भी बहुत है ।
कैसे करे यकीन दिल , दुनिया की बात पे ,
बातों में जहाँ की , बनावट ही बहुत है ।
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