उस कलुषित मन के पाप लिखूं ।
या दुनियां के संताप लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।
अस्मिता के वो चीथड़े लिखूं ।
क्या बिखड़े हुए कपड़े लिखूं ।
या जख्मों भरा विलाप लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।
नेताओं की नई चाल लिखूं ।
आन्दोलन या हड़ताल लिखूं ।
आश्वासन भरा आलाप लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।
या दुनियां के संताप लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।
अस्मिता के वो चीथड़े लिखूं ।
क्या बिखड़े हुए कपड़े लिखूं ।
या जख्मों भरा विलाप लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।
नेताओं की नई चाल लिखूं ।
आन्दोलन या हड़ताल लिखूं ।
आश्वासन भरा आलाप लिखूं ।
क्या लडकी होना अभिशाप लिखूं ।।
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