कोरा खत वो भेज के बोलें ,
दिल की जुबां कहाँ से लाऊ ।
धडकन की इस बेचैनी का ,
सार तुम्हे कैसे समझाऊ ।
कहीं तू मुझसे रूठ न जाये ,
यही सोंच के चुप रहता हूँ ।
पास मैं तेरे आ नही पाता ,
दूर मै तुझसे कैसे जाऊ ।
दिल की जुबां कहाँ से लाऊ ।
धडकन की इस बेचैनी का ,
सार तुम्हे कैसे समझाऊ ।
कहीं तू मुझसे रूठ न जाये ,
यही सोंच के चुप रहता हूँ ।
पास मैं तेरे आ नही पाता ,
दूर मै तुझसे कैसे जाऊ ।
No comments:
Post a Comment