जीते जी ही वक्त के हाथों , मैंने उसको हारा देखा ।
धूल के निचे दबा हुआ इक , टूटा हुआ सितारा देखा ।
सब ने कहा ,वो पत्थर दिल है ,दर्द नही उसको होता है ,
मैंने जब उसका दिल देखा , बच्चों जैसा प्यारा देखा ।
नफरत के उस सौदागर के , नफरत के कितने किस्से हैं ,
दिल ने लेकिन उसके दिल को , प्यार के हाथों हारा देखा ।
जाने किस झोंके ने आके , उसके सपने तोड़े ऐसे ,
फिर उसकी आँखों ने वैसा , सपना नही दुबारा देखा ।
आँखों में सूरज के जैसी, चमक छुपी है उसकी लेकिन ,
उसने जब भी दुनियां देखी , गहराता अँधियारा देखा ।
कहाँ किसी ने देखा ,उसके कंचन जैसे पावन मन को ,
बाहर से दुनियां ने उसको , बस पागल आवारा देखा ।
धूल के निचे दबा हुआ इक , टूटा हुआ सितारा देखा ।
सब ने कहा ,वो पत्थर दिल है ,दर्द नही उसको होता है ,
मैंने जब उसका दिल देखा , बच्चों जैसा प्यारा देखा ।
नफरत के उस सौदागर के , नफरत के कितने किस्से हैं ,
दिल ने लेकिन उसके दिल को , प्यार के हाथों हारा देखा ।
जाने किस झोंके ने आके , उसके सपने तोड़े ऐसे ,
फिर उसकी आँखों ने वैसा , सपना नही दुबारा देखा ।
आँखों में सूरज के जैसी, चमक छुपी है उसकी लेकिन ,
उसने जब भी दुनियां देखी , गहराता अँधियारा देखा ।
कहाँ किसी ने देखा ,उसके कंचन जैसे पावन मन को ,
बाहर से दुनियां ने उसको , बस पागल आवारा देखा ।
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