अँधेरा है बहुत , चल के दीया ढूंढते हैं ।
चांदनी के तले , चाँद नया ढूंढते हैं ।
अब न चाहिए बेदर्द , दर्द देने वाले ,
कोई मसीहा जो ,जोड़े जिया ढूंढते है ।
देख के जख्म , मुंह फेर के गये कितने ,
जिसको आये हमारे गम पे, दया ढूंढते हैं ।
मै हूँ तलाश में तू भी साथ चल मेरे ,
मिलके हम साथ में , हसीन जहाँ ढूंढते हैं ।
चांदनी के तले , चाँद नया ढूंढते हैं ।
अब न चाहिए बेदर्द , दर्द देने वाले ,
कोई मसीहा जो ,जोड़े जिया ढूंढते है ।
देख के जख्म , मुंह फेर के गये कितने ,
जिसको आये हमारे गम पे, दया ढूंढते हैं ।
मै हूँ तलाश में तू भी साथ चल मेरे ,
मिलके हम साथ में , हसीन जहाँ ढूंढते हैं ।
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