वो कहते हैं , मुहब्बत न कर ,बहुत गिला होगा ।
शायद मुहब्बत में उन्हें , गम बहुत मिला होगा ।
उन्हें भी रातों को , नींद न आई होगी ,
दिन बेचैनीयों के साये में , ढला होगा ।
उनकी आँखों में , उदासी का सख्त पहरा है ,
इन पलको में कभी , खाब कोई जला होगा ।
उन्हें यकीन न रहा , वफा की बातों पे ,
बेवफाई ने , इस बुरी तरह छला होगा ।
रौशनी ने दिया होगा , उन्हें तोहफा गम का ,
ख़ुशी की आस में , अँधेरों में चला होगा ।
कोई तो जख्म है , जो सबसे छुपा रखा हैं ,
भला ऐसे ही कोई कैसे , बावला होगा ।
शायद मुहब्बत में उन्हें , गम बहुत मिला होगा ।
उन्हें भी रातों को , नींद न आई होगी ,
दिन बेचैनीयों के साये में , ढला होगा ।
उनकी आँखों में , उदासी का सख्त पहरा है ,
इन पलको में कभी , खाब कोई जला होगा ।
उन्हें यकीन न रहा , वफा की बातों पे ,
बेवफाई ने , इस बुरी तरह छला होगा ।
रौशनी ने दिया होगा , उन्हें तोहफा गम का ,
ख़ुशी की आस में , अँधेरों में चला होगा ।
कोई तो जख्म है , जो सबसे छुपा रखा हैं ,
भला ऐसे ही कोई कैसे , बावला होगा ।
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